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'पंचांग' भारतीयों द्वारा माना जाने वाला वैज्ञानिक कैलेंडर है।
पंचांग (पंच + अंग = पांच अंग) वैदिक काल-गणना की रीति से निर्मित पारम्परिक कैलेण्डर या कालदर्शक को कहते हैं।
पंचांग नाम पाँच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, यह है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।
वैदिक गणना के आधार पर पंचांग की तीन धाराएँ हैं-
पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित पद्धति।
एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। १२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। यह १२ राशियाँ बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि मे प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र मे होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से ११ दिन ३ घड़ी ४८ पल छोटा है। इसीलिए हर ३ वर्ष मे इसमे एक महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिक मास कहते हैं।
== तिथि ==15/12/1990
एक दिन को तिथि कहा गया है जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक की होती है। चंद्र मास में ३० तिथियाँ होती हैं, जो दो पक्षों में बँटी हैं। शुक्ल पक्ष में एक से चौदह और फिर पूर्णिमा आती है। पूर्णिमा सहित कुल मिलाकर पंद्रह तिथि। कृष्ण पक्ष में एक से चौदह और फिर अमावस्या आती है। अमावस्या सहित पंद्रह तिथि।
तिथियों के नाम निम्न हैं- पूर्णिमा (पूरनमासी),
प्रतिपदा (पड़वा),
द्वितीया (दूज),
तृतीया (तीज),
चतुर्थी (चौथ),
पंचमी (पंचमी),
षष्ठी (छठ),
सप्तमी (सातम),
अष्टमी (आठम),
नवमी (नौमी),
दशमी (दसम),
एकादशी (ग्यारस),
द्वादशी (बारस),
त्रयोदशी (तेरस),
चतुर्दशी (चौदस)
और अमावस्या (अमावस)।
== वार == day एक सप्ताह में सात दिन होते हैं:-
सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार
== नक्षत्र ==14!40
आकाश में तारामंडल के विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले आकार को नक्षत्र कहते हैं। मूलत: नक्षत्र 27 माने गए हैं।
ज्योतिषियों द्वारा एक अन्य अभिजित नक्षत्र भी माना जाता है। चंद्रमा उक्त सत्ताईस नक्षत्रों में भ्रमण करता है। नक्षत्रों के नाम नीचे चंद्रमास में दिए गए हैं-
== योग ==40!36
योग 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं।
दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं:-
विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। ये अशुभ योग हैं:-
विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतीपात, परिघ और वैधृति
== करण ==24!55
एक तिथि में दो करण होते हैं- एक पूर्वार्ध में तथा एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण होते हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14) के उत्तरार्ध में शकुनि, अमावस्या के पूर्वार्ध में चतुष्पाद, अमावस्या के उत्तरार्ध में नाग और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुघ्न करण होता है। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
== पक्ष ==
प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं। तीस दिनों को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर दो पक्षों यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है।
एक पक्ष में लगभग पंद्रह दिन या दो सप्ताह होते हैं। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएँ बढ़ती हैं और कृष्ण पक्ष में घटती हैं।
== महीनों के नाम ==इन बारह मासों के नाम आकाशमण्डल के नक्षत्रों में से १२ नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं।
जिस मास जो नक्षत्र आकाश में प्रायः रात्रि के आरम्भ से अन्त तक दिखाई देता है या कह सकते हैं कि जिस मास की पूर्णमासी को चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी के नाम पर उस मास का नाम रखा गया है।
चित्रा नक्षत्र के नाम पर चैत्र मास (मार्च-अप्रैल),
विशाखा नक्षत्र के नाम पर वैशाख मास (अप्रैल-मई),
ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर ज्येष्ठ मास (मई-जून),
आषाढ़ा नक्षत्र के नाम पर आषाढ़ मास (जून-जुलाई),
श्रवण नक्षत्र के नाम पर श्रावण मास (जुलाई-अगस्त),
भाद्रपद (भाद्रा) नक्षत्र के नाम पर भाद्रपद मास (अगस्त-सितम्बर),
अश्विनी के नाम पर आश्विन मास (सितम्बर-अक्टूबर),
कृत्तिका के नाम पर कार्तिक मास (अक्टूबर-नवम्बर),
मृगशीर्ष के नाम पर मार्गशीर्ष (नवम्बर-दिसम्बर),
पुष्य के नाम पर पौष (दिसम्बर-जनवरी),
मघा के नाम पर माघ (जनवरी-फरवरी) तथा फाल्गुनी नक्षत्र के नाम पर फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च) का नामकरण हुआ है।
महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा इस नक्षत्र होता है
चैत्र चित्रा, स्वाति
वैशाख विशाखा, अनुराधा
ज्येष्ठ ज्येष्ठा, मूल
आषाढ़ पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़
श्रावण श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा
भाद्रपद पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र
आश्विन रेवती, अश्विन, भरणी
कार्तिक कृतिका, रोहणी
मार्गशीर्ष मृगशिरा, आर्द्रा
पौष पुनवर्सु, पुष्य
माघ अश्लेशा, मघा
फाल्गुन पूर्व फाल्गुन, उत्तर फाल्गुन, हस्त
== सौरमास =
सौरमास का आरम्भ सूर्य की संक्रांति से होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है।
यह मास प्राय: तीस, इकतीस दिन का होता है। कभी-कभी अट्ठाईस और उन्तीस दिन का भी होता है। मूलत: सौरमास (सौर-वर्ष) 365 दिन का होता है।
12 राशियों को बारह सौरमास माना जाता है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है।
इस राशि प्रवेश से ही सौरमास का नया महीना शुरू माना गया है। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब धर्म अनुसार यह तीर्थ यात्रा व उत्सवों का समय होता है। पुराणों अनुसार अश्विन, कार्तिक मास में तीर्थ का महत्व बताया गया है। उत्तरायण के समय पौष-माघ मास चल रहा होता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब सूर्य दक्षिणायन होता है। दक्षिणायन व्रतों का और उपवास का समय होता है जबकि चंद्रमास अनुसार अषाढ़ या श्रावण मास चल रहा होता है। व्रत से रोग और शोक मिटते हैं। दक्षिणायन में विवाह और उपनयन आदि संस्कार वर्जित है, जब कि अग्रहायण मास में ये सब किया जा सकता है अगर सूर्य वृश्चिक राशि में हो। और उत्तरायण सौर मासों में मीन मास मै विवाह वर्जित है।
सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन।
सूर्य के धनुसंक्रमण से मकरसंक्रमण तक मकर राशी में रहता हे। इसे धनुर्मास कहते है। इस माह का धार्मिक जगत में विशेष महत्व है।
== चंद्रमास == चंद्रमा की कला की घट-बढ़ वाले दो पक्षों (कृष्ण और शुक्ल) का जो एक मास होता है वही चंद्रमास कहलाता है। यह दो प्रकार का शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अमावस्या को पूर्ण होने वाला 'अमांत' मास मुख्य चंद्रमास है। कृष्ण प्रतिपदा से 'पूर्णिमात' पूरा होने वाला गौण चंद्रमास है। यह तिथि की घट-बढ़ के अनुसार 29, 30 व 28 एवं 27 दिनों का भी होता है।
पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। सौर-वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है चंद्र-वर्ष इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है।
सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बड़े हुए दिनों को 'मलमास' या 'अधिमास' कहते हैं।
चंद्रमास के नाम : चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन। (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)।
== वार ==saturday एक सप्ताह में सात दिन होते हैं:-सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार
== नक्षत्र ==14!40
आकाश में तारामंडल के विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले आकार को नक्षत्र कहते हैं। मूलत: नक्षत्र 27 माने गए हैं। ज्योतिषियों द्वारा एक अन्य अभिजित नक्षत्र भी माना जाता है। चंद्रमा उक्त सत्ताईस नक्षत्रों में भ्रमण करता है। नक्षत्रों के नाम नीचे चंद्रमास में दिए गए हैं-
== योग ==40!36 योग 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं:- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। ये अशुभ योग हैं: विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतीपात, परिघ और वैधृति
== करण ==24!55 एक तिथि में दो करण होते हैं- एक पूर्वार्ध में तथा एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण होते हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14) के उत्तरार्ध में शकुनि, अमावस्या के पूर्वार्ध में चतुष्पाद, अमावस्या के उत्तरार्ध में नाग और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुघ्न करण होता है। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
== पक्ष ==sukl pakch प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं। तीस दिनों को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर दो पक्षों यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है। एक पक्ष में लगभग पंद्रह दिन या दो सप्ताह होते हैं। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएँ बढ़ती हैं और कृष्ण पक्ष में घटती हैं।
== महीनों के नाम ==desmbar इन बारह मासों के नाम आकाशमण्डल के नक्षत्रों में से १२ नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं। जिस मास जो नक्षत्र आकाश में प्रायः रात्रि के आरम्भ से अन्त तक दिखाई देता है या कह सकते हैं कि जिस मास की पूर्णमासी को चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी के नाम पर उस मास का नाम रखा गया है। चित्रा नक्षत्र के नाम पर चैत्र मास (मार्च-अप्रैल), विशाखा नक्षत्र के नाम पर वैशाख मास (अप्रैल-मई), ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर ज्येष्ठ मास (मई-जून), आषाढ़ा नक्षत्र के नाम पर आषाढ़ मास (जून-जुलाई), श्रवण नक्षत्र के नाम पर श्रावण मास (जुलाई-अगस्त), भाद्रपद (भाद्रा) नक्षत्र के नाम पर भाद्रपद मास (अगस्त-सितम्बर), अश्विनी के नाम पर आश्विन मास (सितम्बर-अक्टूबर), कृत्तिका के नाम पर कार्तिक मास (अक्टूबर-नवम्बर), मृगशीर्ष के नाम पर मार्गशीर्ष (नवम्बर-दिसम्बर), पुष्य के नाम पर पौष (दिसम्बर-जनवरी), मघा के नाम पर माघ (जनवरी-फरवरी) तथा फाल्गुनी नक्षत्र के नाम पर फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च) का नामकरण हुआ है।
महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा इस नक्षत्र होता है
चैत्र चित्रा, स्वाति
वैशाख विशाखा, अनुराधा
ज्येष्ठ ज्येष्ठा, मूल
आषाढ़ पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़
श्रावण श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा
भाद्रपद पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र
आश्विन रेवती, अश्विन, भरणी
कार्तिक कृतिका, रोहणी
मार्गशीर्ष मृगशिरा, आर्द्रा
पौष पुनवर्सु, पुष्य
माघ अश्लेशा, मघा
फाल्गुन पूर्व फाल्गुन, उत्तर फाल्गुन, हस्त
== सौरमास ==magseer सौरमास का आरम्भ सूर्य की संक्रांति से होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। यह मास प्राय: तीस, इकतीस दिन का होता है। कभी-कभी अट्ठाईस और उन्तीस दिन का भी होता है। मूलत: सौरमास (सौर-वर्ष) 365 दिन का होता है।
12 राशियों को बारह सौरमास माना जाता है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। इस राशि प्रवेश से ही सौरमास का नया महीना शुरू माना गया है। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब हिंदू धर्म अनुसार यह तीर्थ यात्रा व उत्सवों का समय होता है। पुराणों अनुसार अश्विन, कार्तिक मास में तीर्थ का महत्व बताया गया है। उत्तरायण के समय पौष-माघ मास चल रहा होता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब सूर्य दक्षिणायन होता है। दक्षिणायन व्रतों का और उपवास का समय होता है जबकि चंद्रमास अनुसार अषाढ़ या श्रावण मास चल रहा होता है। व्रत से रोग और शोक मिटते हैं। दक्षिणायन में विवाह और उपनयन आदि संस्कार वर्जित है, जब कि अग्रहायण मास में ये सब किया जा सकता है अगर सूर्य वृश्चिक राशि में हो। और उत्तरायण सौर मासों में मीन मास मै विवाह वर्जित है।
सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन।
सूर्य के धनुसंक्रमण से मकरसंक्रमण तक मकर राशी में रहता हे। इसे धनुर्मास कहते है। इस माह का धार्मिक जगत में विशेष महत्व है।
== चंद्रमास ==magseer चंद्रमा की कला की घट-बढ़ वाले दो पक्षों (कृष्ण और शुक्ल) का जो एक मास होता है वही चंद्रमास कहलाता है। यह दो प्रकार का शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अमावस्या को पूर्ण होने वाला 'अमांत' मास मुख्य चंद्रमास है। कृष्ण प्रतिपदा से 'पूर्णिमात' पूरा होने वाला गौण चंद्रमास है। यह तिथि की घट-बढ़ के अनुसार 29, 30 व 28 एवं 27 दिनों का भी होता है।
पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। सौर-वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है चंद्र-वर्ष इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है।
सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बड़े हुए दिनों को 'मलमास' या 'अधिमास' कहते हैं।
चंद्रमास के नाम : चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन।
✍?साभार
मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 7 (सात) आसान उपाय ।
.? (1)= किसी को धार्मिक ग्रन्थ भैंट करे जब भी कोई उसका पाठ करेगा आप को पुण्य मिलेगा ।
?(2)= एक व्हीलचेयर किसी अस्पताल मे दान करे जब भी कोई मरीज उसका उपयोग करेगा पुण्य आपको मिलेगा।
श?(3)= किसी अन्नक्षेत्र के लिये मासिक ब्याज वाली एफ. डी बनवादे जब भी उसकी ब्याज से कोई भोजन करेगा आपको पुण्य मिलेगा
? (4)=किसी पब्लिक प्लेस पर वाटर कूलर लगवाएँ हमेशा पुण्य मिलेगा।
?(5)= किसी अनाथ को शिक्षित करो वह और उसकी पीढ़ियाँ भी आपको दुआ देगी तो आपको पुण्य मिलेगा।
?(6)= अपनी औलाद को परोपकारी बना सके तो सदैव पुण्य मिलता रहेगा।
?( 7)= सबसे आसान है कि आप ये बाते औरों को बताये, किसी एक ने भी अमल किया तो आपको पुण्य मिलेगा...!
सबसे पहले सेंड करदो, क्यूंकि जबतक कोई यह MSG पढ़ता रहेगा,
आप के नाम के पुण्य के, पेड़ लगते रहेगे, और आपको ...,
फल मिलते रहेंगे इसलिये रुकिये नही निरंतर लगे रहिये ....! ?
1. कामवश:
〰️〰️〰️〰️ जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।
2. वाममार्गी:
〰️〰️〰️〰️ जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो; नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।
3. कंजूस:
〰️〰️〰️ अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याणकारी कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृतक समान ही है।
4. अति दरिद्र:
〰️〰️〰️〰️गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वह भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। गरीब आदमी को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है। दरिद्र-नारायण मानकर उनकी मदद करनी चाहिए।
5. विमूढ़:
〰️〰️〰️ अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ ही होता है। जिसके पास बुद्धि-विवेक न हो, जो खुद निर्णय न ले सके, यानि हर काम को समझने या निर्णय लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृतक समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को नहीं समझता।
6. अजसि:
〰️〰️〰️〰️ जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर-परिवार, कुटुंब-समाज, नगर-राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।
7. सदा रोगवश
〰️〰️〰️〰️〰️ जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।
8. अति बूढ़ा:
〰️〰️〰️〰️ अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों अक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार वह स्वयं और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।
9. सतत क्रोधी:
〰️〰️〰️〰️〰️ 24 घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृतक समान ही है। ऐसा व्यक्ति हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता। पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है। क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरकगामी होता है।
10. अघ खानी:
〰️〰️〰️〰️〰️ जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है।
11. तनु पोषक:
〰️〰️〰️〰️〰️ ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो, ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकी किसी अन्य को मिलें न मिलें, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं। शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है, क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है।
12. निंदक:
〰️〰️〰️〰️ अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नजर आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी न किसी की बुराई ही करे, वह व्यक्ति भी मृत समान होता है। परनिंदा करने से नीच गोत्र का बंध होता है।
13. परमात्म विमुख:
〰️〰️〰️〰️〰️〰️ जो व्यक्ति ईश्वर यानि परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं; हम जो करते हैं, वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।
14. श्रुति संत विरोधी:
〰️〰️〰️〰️〰️〰️जो संत, ग्रंथ, पुराणों का विरोधी है, वह भी मृत समान है। श्रुत और संत, समाज में अनाचार पर नियंत्रण (ब्रेक) का काम करते हैं। अगर गाड़ी में ब्रेक न हो, तो कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है। वैसे ही समाज को संतों की जरूरत होती है, वरना समाज में अनाचार पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।
अतः मनुष्य को उपरोक्त चौदह दुर्गुणों से यथासंभव दूर रहकर स्वयं को मृतक समान जीवित रहन से बचाना चाहिए।
〰️〰️?〰️〰️?〰️〰️?〰️〰️?〰️〰️
Posted by: admin - 11-05-2022, 09:48 AM - Forum: Stock Market
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9:15 से 15:30 | 04-11-22 | Nifty Bank Nifty intraday move prediction and graph Correct: निफ्टी बैंक-निफ्टी की चाल 04-11-2022 Check every day intraday trade prediction. VIX: Volatility Index will be in range with compared to yesterday levels. Rupee Dollar: We can see small improvement in Rupee level. Nifty support level: Downside limited. Opening Positive. 09:15 to 10 am: Market will go upside see resistance then go down.
10 to 11 am: Market will go upside and then go down.
11 to 12 pm: Market will go upside around 30 minutes and then go down.
12 to 1 pm: Market will go down and then take support and go up.
1 to 2 pm: Market will see upside resistance then go down.
Then take support and go up see again upside resistance and go up.
2 to 3 pm: Market will go up and see upside resistance.
3 to 3.30 pm: Market will go up.
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निफ्टी बैंक-निफ्टी की चाल इंट्राडे ट्रेड ट्रेड में आने वाले 135 मिनट का ग्राफ 13:15 to 15:30 Link https://youtu.be/vpGvBwGgg7A
Nifty Bank Nifty Pre 60 minutes next movement graphs for Intraday Trade
निफ्टी बैंक-निफ्टी की चाल इंट्राडे ट्रेड में आने वाले 120 मिनट का ग्राफ
निफ्टी और बैंक निफ्टी जहाँ ओपन होते हैं उसके बाद 9.15 से जो चाल हम देखने वाले हैं उसका ग्राफ 30 मिनट पहले फ्री सेशन में चैनल antasbillorey पर उपलब्ध रहेगा. 2012 से हम निफ्टी की इंट्रा डे चाल का ग्रहों के आधार पर भविष्यफल देते आ रहे हैं जिसकी सही जाने की संभावना 85-100 % तक भी रही है. दिन में किसी किसी अन्तराल में यह गलत भी हो सकता है किन्तु निफ्टी और बैंक निफ्टी में क्या ट्रेंड रहने वाला है यह जानना सरल हो जाता है. आपको ट्रेडिंग में सफलता मिले.
Nifty and Bank nifty pre graphs before 30 minutes at beginning of market session on 9.15 am. Get next movement graphs in free session on YouTube channel antasbillorey. Since 2012 we are giving predictions about Nifty movement with 85-100% accuracy. It is also possible that this prediction may go wrong in particular time interval, but you can understand the trend better in Nifty and Bank Nifty intraday trade. Wishes for your success in trading have a great time.
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EXAMPLE OF PREDICTION (Given on 5th Oct 2014)
Indian stock market, intraday movement and affecting factors. Tuesday 07:10:2014 You can follow the information for your best trade in intraday and coming 2-3 days trade. Indian stock market may be seen negative opening around 10 to 15 points. Best sectors which may see support and positive trends are banking finance pharma fmcg infrastructure agro products Public sector power food grains oil & gas cements metals steel realty mining insurance jewellery gold eatable oils food grains. Stocks and sectors entertainment educational institutions health care hospitality may see more negative comparative to other stocks and sectors. Nifty range 7905 – 7985 INDIA VIX will be lesser European markets may be seen: CAC Positive DAX Positive (6 oct) US markets: Nasdaq Positive (6 oct) Next Days Asian markets opening (07:10:2014): Strait Times Positive, Kuala Lumpur Positive, Hang Seng Positive Best timings for trade : 9:40 to 9:55, 10:05 to 10:09, 10:16 to 10:29, 10:48 to 11:05, 11:18 to 11:33, 11:54 to 12:08, 12:46 to 12:57, 13:16 to 13:22, 13:42 to 13:58, 14:08 to 14:26, 14:38 to 14:56, 15:12 to 15:22 [This timing make you sure the less possibility of executing and placing wrong order. Your order will be safer and you can gain profit.] 07 - 10 - 2014: (Opening Positive) Indian stock market may hold its levels and go upside. [From 09:00 A.M. to 10:00 A.M. from its levels.] Indian stock market may see upside resistance down then go upside. [From 10:00 A.M. to 11:00 A.M. from its levels.] Indian stock market may hold its levels go upside then down. [From 11:00 A.M. to 12:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may hold its levels and go upside. [From 12:00 P.M. to 01:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may hold its levels and go upside. [From 01:00 P.M. to 02:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may see upside resistance and down. [From 02:00 P.M. to 03:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may see upside resistance and down. [From 03:00 P.M. to 03:30 P.M. from its levels.] FII & DII interest: We can see positive investor sentiment from DII and FII’s. Dollar $ / Rupee: We can see Dollar $ upside resistance and down, Rupee may hold stability. Bullions: See price upside resistance. Crude oil: See price upside. Government Policy and RBI’s action: Government will be able to sustain stability in markets. Nifty futures Buy/Sell: Buy Prediction about quarterly report of companies: Best stocks: ITC, PNB, Tata Global, Jindal steel, LIC HSG FIN, Tata steel, UBL, BPCL. Reiki and Astrology Predictions - www.reikiandastrologypredictions.com
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वेबसाइट पर फ्री सेशन ऑफ़र सेक्शन में फॉर्म फिल करने का लाभ. यदि आप यूट्यूब लाइव सेशन ज्वाइन नहीं कर पाते हैं तब भी फ्री सेशन में आपको दिये उत्तर वाले वीडियो की लिंक आपके द्वारा दिए गये व्हाट्सएप्प या ईमेल पर भेज दी जाती है.
Thank you for Like Share Subscribe & Comment, click bell notification icon to get all updates. We are grateful to you. We will reply, Thank you for your patience.आप जो संयम रख रहे हैं उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. हम आप सभी के आभारी हैं आप सभी को फ्री सेशन में एक बार अवश्य उत्तर देंगे.
We never offer paid service, who want to join in free services. We don't have any intention to trouble you or hurt you and we never force to pay.
In this session we are providing Paid services too. You can pay by Superchat, Super stickers or by online payment on N. 8109812284 Gpay phonepe or paytm. You can share the screenshot of payment on same whatsapp n. #nifty#banknifty#sharemarket#astrology#deepavali
DEEPAWALI MUHURAT TRADING NIFTY BANK NIFTY 24-10-2022 निफ्टी बैंक-निफ्टी की चाल
Nifty Bank Nifty Pre 30 minutes next movement graphs for Intraday Trade
निफ्टी बैंक-निफ्टी की चाल इंट्राडे ट्रेड में आने वाले 30 मिनट का ग्राफ
निफ्टी और बैंक निफ्टी जहाँ ओपन होते हैं उसके बाद 9.15 से जो चाल हम देखने वाले हैं उसका ग्राफ 30 मिनट पहले फ्री सेशन में चैनल antasbillorey पर उपलब्ध रहेगा. 2012 से हम निफ्टी की इंट्रा डे चाल का ग्रहों के आधार पर भविष्यफल देते आ रहे हैं जिसकी सही जाने की संभावना 85-100 % तक भी रही है. दिन में किसी किसी अन्तराल में यह गलत भी हो सकता है किन्तु निफ्टी और बैंक निफ्टी में क्या ट्रेंड रहने वाला है यह जानना सरल हो जाता है. आपको ट्रेडिंग में सफलता मिले. आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई.
Nifty and Bank nifty pre graphs before 30 minutes at beginning of market session on 9.15 am. Get next movement graphs in free session on YouTube channel antasbillorey. Since 2012 we are giving predictions about Nifty movement with 85-100% accuracy. It is also possible that this prediction may go wrong in particular time interval, but you can understand the trend better in Nifty and Bank Nifty intraday trade. Wishes for your success in trading have a great time. Happy Diwali to you and your loved ones.
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EXAMPLE OF PREDICTION (Given on 5th Oct 2014)
Indian stock market, intraday movement and affecting factors. Tuesday 07:10:2014 You can follow the information for your best trade in intraday and coming 2-3 days trade. Indian stock market may be seen negative opening around 10 to 15 points. Best sectors which may see support and positive trends are banking finance pharma fmcg infrastructure agro products Public sector power food grains oil & gas cements metals steel realty mining insurance jewellery gold eatable oils food grains. Stocks and sectors entertainment educational institutions health care hospitality may see more negative comparative to other stocks and sectors. Nifty range 7905 – 7985 INDIA VIX will be lesser European markets may be seen: CAC Positive DAX Positive (6 oct) US markets: Nasdaq Positive (6 oct) Next Days Asian markets opening (07:10:2014): Strait Times Positive, Kuala Lumpur Positive, Hang Seng Positive Best timings for trade : 9:40 to 9:55, 10:05 to 10:09, 10:16 to 10:29, 10:48 to 11:05, 11:18 to 11:33, 11:54 to 12:08, 12:46 to 12:57, 13:16 to 13:22, 13:42 to 13:58, 14:08 to 14:26, 14:38 to 14:56, 15:12 to 15:22 [This timing make you sure the less possibility of executing and placing wrong order. Your order will be safer and you can gain profit.] 07 - 10 - 2014: (Opening Positive) Indian stock market may hold its levels and go upside. [From 09:00 A.M. to 10:00 A.M. from its levels.] Indian stock market may see upside resistance down then go upside. [From 10:00 A.M. to 11:00 A.M. from its levels.] Indian stock market may hold its levels go upside then down. [From 11:00 A.M. to 12:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may hold its levels and go upside. [From 12:00 P.M. to 01:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may hold its levels and go upside. [From 01:00 P.M. to 02:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may see upside resistance and down. [From 02:00 P.M. to 03:00 P.M. from its levels.] Indian stock market may see upside resistance and down. [From 03:00 P.M. to 03:30 P.M. from its levels.] FII & DII interest: We can see positive investor sentiment from DII and FII’s. Dollar $ / Rupee: We can see Dollar $ upside resistance and down, Rupee may hold stability. Bullions: See price upside resistance. Crude oil: See price upside. Government Policy and RBI’s action: Government will be able to sustain stability in markets. Nifty futures Buy/Sell: Buy Prediction about quarterly report of companies: Best stocks: ITC, PNB, Tata Global, Jindal steel, LIC HSG FIN, Tata steel, UBL, BPCL. Reiki and Astrology Predictions - www.reikiandastrologypredictions.com
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FILL & SUBMIT #OFFER 1 FREE HOROSCOPE READING 2 QUESTIONS #OFFER 2 REIKI DISTANCE HEALING 3 DAYS
We don't offer paid services to people who joins in free 3 dyas reiki distance group healing and 2 questions horoscope reading session. More than 5000 people all over the world taken benefit of this free session.फ्री रेकी 3 दिवसीय डिस्टेंस हीलिंग और 2 प्रश्न होरोस्कोप रीडिंग सेशन में आने वाले व्यक्तियों को हम कभी भी पेड सेवायें ऑफर नहीं करते हैं. विश्व के कई देशों में 5000 से अधिक लोग फ्री सेवाओं का लाभ ले चुके हैं. You will get reply of 2 questions free horoscope reading on our YouTube channel. Free Reiki distance healing session 3 days every month music available on YouTube Channel. You can play the music during reiki distance healing session.फ्री होरोस्कोप रीडिंग 2 प्रश्न के उत्तर हमारे यूट्यूब चैनल पर दिए जायेंगे. 3 दिवसीय फ्री रेकी डिस्टेंस हीलिंग प्रतिमाह के लिये रेकी म्युज़िक हमारे यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है सेशन लेते समय आप वह म्युज़िक चला सकते हैं.
किससे सीखें रेकी.! कितने समय के अभ्यास में मिलने लगती है सफलता.!
क्यों सीखें रेकी.! कब होंगे प्रसिद्द रेकी करने से.!
Reiki healing रेकी क्या है कैसे सीखें और आपके बहुत से प्रश्नों के उत्तर सीधे LIVE Chat में session about to start in few minutes. सेशन कुछ ही समय में प्रारम्भ हो रहा है। link लिंक https://youtu.be/Bzm5fwGLeII ??????⚘❤? आप सभी का स्वागत है। #reiki #reikihealing #reikiteacher #reikiusui #reikilove #reikimaster #reikienergy #reikiandastrologypredictions #antasbillorey #youtube #instagram #viral #online #follow #Explore
शब्द पता नहीं, किस रचनाकार की रचना है... लेकिन, है लाजवाब...!
✍️✍️ शब्द
शब्द रचे जाते हैं,
शब्द गढ़े जाते हैं,
शब्द मढ़े जाते हैं,
शब्द लिखे जाते हैं,
शब्द पढ़े जाते हैं,
शब्द बोले जाते हैं,
शब्द तौले जाते हैं,
शब्द टटोले जाते हैं,
शब्द खंगाले जाते हैं,
... इस प्रकार
शब्द बनते हैं,
शब्द संवरते हैं,
शब्द सुधरते हैं,
शब्द निखरते हैं,
शब्द हंसाते हैं,
शब्द मनाते हैं,
शब्द रुलाते हैं,
शब्द मुस्कुराते हैं,
शब्द खिलखिलाते हैं,
शब्द गुदगुदाते हैं,
शब्द मुखर हो जाते हैं
शब्द प्रखर हो जाते हैं
शब्द मधुर हो जाते हैं
... इतना होने के बाद भी
शब्द चुभते हैं,
शब्द बिकते हैं,
शब्द रूठते हैं,
शब्द घाव देते हैं,
शब्द ताव देते हैं,
शब्द लड़ते हैं,
शब्द झगड़ते हैं,
शब्द बिगड़ते हैं,
शब्द बिखरते हैं
शब्द सिहरते हैं
... परन्तु
शब्द कभी मरते नहीं
शब्द कभी थकते नहीं
शब्द कभी रुकते नहीं
शब्द कभी चुकते नहीं
... अतएव
शब्दों से खेले नहीं
बिन सोचे बोले नहीं
शब्दों को मान दें
शब्दों को सम्मान दें
शब्दों पर ध्यान दें
शब्दों को पहचान दें
ऊंची लंबी उड़ान दें
शब्दों को आत्मसात करें
उनसे उनकी बात करें,
शब्दों का अविष्कार करें
गहन सार्थक विचार करें
... क्योंकि
शब्द अनमोल हैं
ज़ुबाँ से निकले बोल हैं
शब्दों में धार होती है
शब्दों की महिमा अपार होती है
शब्दों का विशाल भंडार होता है
कर्म न करने वाला मनुष्य राक्षस है। कर्म न करनेवाला व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन की तो हानि करता ही है अपितु वह समाज, देश व मानवता की उन्नति में भी बाधक होता है।
ऐसी परिस्थितियों को समझकर महात्मा विदुर जी को कहना पड़ा था कि:-
जो धनवान हो कर दान नहीं करता और जो निर्धन होकर पुरूषार्थ नहीं करता, उन दोनों के गले में (राजा द्वारा) भारी पत्थर की शिला बांधकर जल में डुबा देना चाहिए।
धर्मात्मा राजर्षि चाणक्य जी के अनुसार:-
निर्धन और अशिक्षित परिवार में पैदा होना कोई अपराध नहीं हैं, परन्तु निर्धन और अशिक्षित होकर मरना इस पृथ्वी का सबसे बड़ा अपराध है।(क्योंकि निर्धन और अशिक्षित व्यक्ति समाज में विकास नहीं करता। मनुष्य होकर जो विकास नहीं करता वह घोर अपराधी है। इसलिए मनुष्य को आत्मिक मानसिक बौद्धिक और आर्थिक विकास की तरफ ध्यान देना चाहिए।) सुप्रभात
ॐत्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर
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जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं।
उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं।
इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है
जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं ।
साथ ही वह नीरोग, ऐश्वर्य युक्ता धनवान भी होता है ।
महामृत्युंरजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है । भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस निरन्तंर बरसती रहती है।
• त्रि - ध्रववसु प्राण का घोतक है जो सिर में स्थित है।
• यम - अध्ववरसु प्राण का घोतक है, जो मुख में स्थित है।
• ब - सोम वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण कर्ण में स्थित है।
• कम - जल वसु देवता का घोतक है, जो वाम कर्ण में स्थित है।
• य - वायु वसु का घोतक है, जो दक्षिण बाहु में स्थित है।
• जा- अग्नि वसु का घोतक है, जो बाम बाहु में स्थित है।
• म - प्रत्युवष वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण बाहु के मध्य में स्थित है।
• हे - प्रयास वसु मणिबन्धत में स्थित है।
• सु -वीरभद्र रुद्र प्राण का बोधक है। दक्षिण हस्त के अंगुलि के मुल में स्थित है।
• ग -शुम्भ् रुद्र का घोतक है दक्षिणहस्त् अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• न्धिम् -गिरीश रुद्र शक्ति का मुल घोतक है। बायें हाथ के मूल में स्थित है।
• पु- अजैक पात रुद्र शक्ति का घोतक है। बाम हस्तह के मध्य भाग में स्थित है।
• ष्टि - अहर्बुध्य्त् रुद्र का घोतक है, बाम हस्त के मणिबन्धा में स्थित है।
• व - पिनाकी रुद्र प्राण का घोतक है। बायें हाथ की अंगुलि के मुल में स्थित है।
• र्ध - भवानीश्वपर रुद्र का घोतक है, बाम हस्त अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• नम् - कपाली रुद्र का घोतक है । उरु मूल में स्थित है।
• उ- दिक्पति रुद्र का घोतक है । यक्ष जानु में स्थित है।
• र्वा - स्था णु रुद्र का घोतक है जो यक्ष गुल्फ् में स्थित है।
• रु - भर्ग रुद्र का घोतक है, जो चक्ष पादांगुलि मूल में स्थित है।
• क - धाता आदित्यद का घोतक है जो यक्ष पादांगुलियों के अग्र भाग में स्थित है।
• मि - अर्यमा आदित्यद का घोतक है जो वाम उरु मूल में स्थित है।
• व - मित्र आदित्यद का घोतक है जो वाम जानु में स्थित है।
• ब - वरुणादित्या का बोधक है जो वाम गुल्फा में स्थित है।
• न्धा - अंशु आदित्यद का घोतक है । वाम पादंगुलि के मुल में स्थित है।
• नात् - भगादित्यअ का बोधक है । वाम पैर की अंगुलियों के अग्रभाग में स्थित है।
• मृ - विवस्व्न (सुर्य) का घोतक है जो दक्ष पार्श्वि में स्थित है।
• र्त्यो् - दन्दाददित्य् का बोधक है । वाम पार्श्वि भाग में स्थित है।
• मु - पूषादित्यं का बोधक है । पृष्ठै भगा में स्थित है ।
• क्षी - पर्जन्य् आदित्यय का घोतक है । नाभि स्थिल में स्थित है।
• य - त्वणष्टान आदित्यध का बोधक है । गुहय भाग में स्थित है।
• मां - विष्णुय आदित्यय का घोतक है यह शक्ति स्व्रुप दोनों भुजाओं में स्थित है।
• मृ - प्रजापति का घोतक है जो कंठ भाग में स्थित है।
• तात् - अमित वषट्कार का घोतक है जो हदय प्रदेश में स्थित है।
उपर वर्णन किये स्थानों पर उपरोक्त देवता, वसु आदित्य आदि अपनी सम्पुर्ण शक्तियों सहित विराजत हैं । जो प्राणी श्रध्दा सहित महामृत्युजय मंत्र का पाठ करता है उसके शरीर के अंग - अंग ( जहां के जो देवता या वसु अथवा आदित्यप हैं ) उनकी रक्षा होती है ।
1. उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो.
2. वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो.
3. उनकी राय स्वीकारें.
4. उनकी बातचीत में सम्मिलित हों.
5. उन्हें सम्मान के साथ देखें.
6. हमेशा उनकी प्रशंसा करें.
7. उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ.
8. उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें.
9. उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें.
10. उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें.
11. वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो.
12. अतीत की दर्दनाक यादों को मत दोहरायें.
13. उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें.
14. उनके साथ तमीज़ से बैठें.
15. उनके विचारों को न तो घटिया बताये न ही उनकी आलोचना करें.
16. उनकी बात काटने से बचें.
17. उनकी उम्र का सम्मान करें.
18. उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें.
19. उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें.
20. उनका नेतृत्व स्वीकार करें.
21. उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें.
22. उनके आगे अथवा सामने से न चलें.
23. उनसे पहले खाने से बचें.
24. उन्हें घूरें नहीं.
25. उन्हें तब भी गौरवान्वित प्रतीत करायें जब कि वे अपने को इसके लायक न समझें.
26. उनके सामने अपने पैर करके या उनकी ओर अपनी पीठ कर के बैठने से बचें.
27. न तो उनकी बुराई करें और न ही किसी अन्य द्वारा की गई उनकी बुराई का वर्णन करें.
28. उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें.
29. उनकी उपस्थिति में ऊबने या अपनी थकान का प्रदर्शन न करें.
30. उनकी गलतियों अथवा अनभिज्ञता पर हँसने से बचें.
31. कहने से पहले उनके काम करें.
32. नियमित रूप से उनके पास जायें.
33. उनके साथ वार्तालाप में अपने शब्दों को ध्यान से चुनें.
34. उन्हें उसी सम्बोधन से सम्मानित करें जो वे पसन्द करते हैं.
35. अपने किसी भी विषय की अपेक्षा उन्हें प्राथमिकता दें...!!!
माता – पिता इस दुनिया में सबसे बड़ा खज़ाना हैं..!!यह मेसेज हर घर तक पहुंचने मे मदद करे तो बड़ी कृपा होगी मानव जाति का उद्धार संभव हैं, यदि ऊपर लिखी बातों को जीवन में उतार लिया तो। सबसे पहले भगवान, गुरु माता पिता ही हैं, हर धर्म में इस बात का उल्लेख है ...!!!
?️?️धर्मात्मा को हर समय !
?️?️पापी को मृत्यु के समय !
?️?️चोर को पकड़े जाने पर !
?️?️गरीब को भूख लगने पर !
?️?️धनी को बीमार हो जाने पर !
?️?️कंजूस को पैसा खो जाने पर !
?️?️किसान को वर्षा नहीं होने पर !
?️?️मुसाफिर को ट्रेन छूट जाने पर !
?️?️व्यापारी को नुकसान हो जाने पर !
?️?️राजनीतिज्ञ को चुनाव हार जाने पर !
?️?️अफसर को रिश्वत लेते समय पकड़े जाने पर !
?️?️विद्यार्थी को परीक्षा फल के समय !
?️?️सच्चे इंसान को पूरी दुनिया के साथ ईमानदारी के साथ व्यवहार करने के बाद भी धोखा मिलने पर !
लेकिन जो प्रभु के अत्यन्त सच्चे भक्त है उनको तो हर समय सुख में, दुख में, सोते , जागते, उठते, बैठते,हर समय हर जगह प्रभु ही प्रभु याद आते हैं .....!!
लगन में रहिये हमेशा, मग्न रहिये अपने प्रभु की याद में।
फिलीपींस की मारनव भाषा में संकलित " मसलादिया लाबन " , जो विकृत रामायण है ;
इंडोनेशिया में सबसे प्राचीन शास्त्रीय भाषा कावी में काकावीन द्वारा रचित " रामायण काकावीन " ;
कतर के दोहा में मुझ गल रामायण नाम से रामायण का अरेबिक अनुवाद , जिसे हमीदा बानो ने अनुवाद कराया था , जो 16 मई 1594 को पूर्ण हुआ था ;
मलेशिया के इस्लामीकरण के बाद 1633 में मलय रामायण की सबसे प्राचीन पांडुलिपि बोडलियन पुस्तकालय में संरक्षित कर दी गई थी । मलेशिया में " हिकायत सेरीराम " रामायण ;
जापान में कथा संग्रह ग्रन्थ " होबुत्सुशू " में रामकथा संकलित ;
मंगोलिया में अनेक रामायण प्राप्त हुई है । मंगोलियन भाषा में लिखित चार रामायण दम्दिन सुरेन ने खोजी थी । इनमें " राजा जीवक की कथा " सबसे प्रसिद्ध है । वर्तमान में लेनिनग्राद में मंगोलियन रामायण सुरक्षित है ।
तिब्बत में " किंरस-पुंस-पा " नाम से रामायण ;
इनके अतिरिक्त संसार भर से तीन सौ से अधिक रामायण प्राप्त हुई है ।
अन्त में पुनः -------------
" राम चरित शतकोटि अपारा।
श्रुति सारदा न बरने पारा ।।"
नानाविध रूपों में , अनेक देशों , अनेक भाषाओं में रामकथा का प्राप्त होना ही यह सिद्ध करता है कि श्रीराम सकल विश्व में व्याप्त हैं । यह केवल अवधपति श्रीराम जी के मन्दिर का शिलान्यास नहीं हो रहा , वरन् अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजराजेश्वर प्रभु श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है । इसीलिए 5 अगस्त , 2020 से प्रभु श्रीराम-मंदिर के निर्माण प्रारंभ होने के साथ ही पूरा विश्व अयोध्या की सीमा में सम्मिलित हो जाएगा और विश्व-प्रजा राघवेन्द्र भगवान की विधिवत् प्रजा बन जाएगी ।
RSS की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद ... पढ़ो और सोचिये कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारत माता के प्रति भावना क्या है
1. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम्।
हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है।
2. महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।। १।।
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ।
3. प्रभो शक्ति मन्हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, इमे सादरं त्वाम नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं, शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये।
हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के सुपुत्र तुझे आदर सहित प्रणाम करते है। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे।
4. अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम, सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्, श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं, स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।। २।।
हे प्रभु! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये। ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के द्वारा स्वीकृत किया गया यह कंटकाकीर्ण मार्ग सुगम हो जाये।
5. समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं, परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा, हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राsनिशम्।
उग्र वीरव्रती की भावना हम में उत्स्फूर्त होती रहे, जो उच्चतम आध्यात्मिक सुख एवं महानतम ऐहिक समृद्धि प्राप्त करने का एकमेव श्रेष्ठतम साधन है। तीव्र एवं अखंड ध्येयनिष्ठा हमारे अंतःकरणों में सदैव जागती रहे।
6. विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्, विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्। परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं, समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्।। ३।। ।। भारत माता की जय।।
हे माँ तेरी कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो। भारत माता की जय।..
अब आप ही विचार करे कि RSS की विचारधारा कैसी है...!!!
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
दीपक के ऊपर हाथ
घुमाने का वैज्ञानिक
कारण
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
मंदिर में घंटा लगाने
का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
भगवान की मूर्ति
मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।
परिक्रमा करने के
पीछे वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
??: कृपया सनातन धर्म के मंदिर पूजन के प्रति इन वैज्ञानिक आधारों को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ताकि आम जन मंदिर की इन व्यवस्थाओं को समझ सके..
2- खाना खाने के बाद अक्सर
मीठा खाने का मन करता हैं।
इसके लिए सबसे बेहतर है
कि आप गुड़ खाएं।
गुड़ का सेवन करने से आप
हेल्दी रह सकते हैं
3 - पाचन क्रिया को सही रखना
4 - गुड़ शरीर का रक्त साफ
करता है और मेटाबॉल्जिम
ठीक करता है।
रोज एक गिलास पानी या दूध
के साथ गुड़ का सेवन पेट को
ठंडक देता है। इससे गैस की
दिक्कत नहीं होती।
जिन लोगों को गैस की परेशानी है,
वो रोज़ लंच या डिनर के बाद
थोड़ा गुड़ ज़रुर खाएं..
5 - गुड़ आयरन का मुख्य स्रोत है।
इसलिए यह एनीमिया के मरीज़ों
के लिए बहुत फायदेमंद है।
खासतौर पर महिलाओं के
लिए इसका सेवन बहुत
अधिक ज़रुर है.
6 - त्वचा के लिए, गुड़ ब्लड से
खराब टॉक्सिन दूर करता है,
जिससे त्वचा दमकती है और
मुहांसे की समस्या नहीं होती है।
7 - गुड़ की तासीर गर्म है,
इसलिए इसका सेवन जुकाम
और कफ से आराम दिलाता है।
जुकाम के दौरान अगर आप
कच्चा गुड़ नहीं खाना चाहते हैं
तो चाय या लड्डू में भी
इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
8 - एनर्जी के लिए -बुहत
ज़्यादा थकान और कमजोरी
महसूस करने पर गुड़ का
सेवन करने से आपका एनर्जी
लेवल बढ़ जाता है।
गुड़ जल्दी पच जाता है, इससे
शुगर का स्तर भी नहीं बढ़ता.
दिनभर काम करने के बाद
जब भी आपको थकान हो,
तुरंत गुड़ खाएं।
9 - गुड़ शरीर के टेंपरेचर को
नियंत्रित रखता है।
इसमें एंटी एलर्जिक तत्व हैं,
इसलिए दमा के मरीज़ों के
लिए इसका सेवन काफी
फायदेमंद होता है।
10 - जोड़ों के दर्द में आराम--
रोज़ गुड़ के एक टुकड़े के
साथ अदरक का सेवन करें,
इससे जोड़ों के दर्द की
दिक्कत नहीं होगी।
11- गुड़ के साथ पके चावल
खाने से बैठा हुआ गला व
आवाज खुल जाती है।
12 - गुड़ और काले तिल के
लड्डू खानेसे सर्दी में अस्थमा
की परेशानी नहीं होती है।
13 - जुकाम जम गया हो, तो
गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी
बनाकर खिलाएं।
14 - गुड़ और घी मिलाकर खाने
से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
15 - भोजन के बाद गुड़ खा
लेने से पेट में गैस नहीं बनती.
16 - पांच ग्राम सौंठ दस ग्राम
गुड़ के साथ लेने से पीलिया
रोग में लाभ होता है।
17 - गुड़ का हलवा खाने से
स्मरण शक्ति बढती है।
18 - पांच ग्राम गुड़ को इतने ही
सरसों के तेल में मिलाकर खानेसे
श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।
इतिहास में यह घटना अंकित है कि एक ब्राह्मण के घर की स्त्री स्नान कर रही थी तभी संयोग से वहां से "ब्राह्मण कुल शिरोमणि "वाजीराव पेशवा " की सवारी निकल रही थी।
हाथी पर बेठे महाराज वाजीराव पेशवा को घर के अंदर आँगन में स्नान कर रही स्त्री का चेहरा गर्दन तक दिख गया, संयोग से ब्राह्मण स्त्री की नज़र भी पेशवा जी से टकरा गयी।
महाराज बाजीराव पेशवा जी तत्काल हाथी से नीचे उतरकर पैदल चलने लगे..
साथ चल रहे उनके अंग रक्षक ने हिम्मत जुटा कारण पूछा तो पेशवा जी बोले अनजाने में मैने एक ब्राह्मण स्त्री की हत्या कर दी..
आज के बाद हाथी की सवारी नहीं करुँगा घोड़े की सवारी करुँगा और वास्तव में थोड़ी देर बाद खबर मिली कि उस ब्राह्मण स्त्री ने लज्जावश प्राण त्याग दिए...
मेरे भाई बहनों ऐसा रहा ब्राह्मणों का मर्यादित गरिमामय जीवन इतिहास.. !
अतः आप लोग भले ही आधुनिक रहें लेकिन पूर्वजों की अर्जित की हुई महानता को याद रखे ब्राह्मण ऐसे ही पूज्य नहीं हुए हमारे पूर्वजो का त्याग तपस्या, बलिदान, त्रिकाल संध्या सहित जीवन सदैव पवित्रता पूर्ण मर्यादित गरिमामय रहा अतः सदैव ब्राह्मण धर्म का पालन करे l
फूहड़ वस्त्र अमर्यादित भोजन और अमर्यादित व्यवहार का त्याग करे जीवन ऐसा गरिमामय जियें कि अन्य लोग आपसे प्रेरणा लें l
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In today's trade we may see selling pressure less than yesterday's trade in present levels in market. We can see upside resistance between 18900-18950 levels. IT Aviation banking telecommunications railway pharma Infrastructure stocks may perform well. Market sentiment will be negative.
Posted by: admin - 10-27-2021, 09:24 AM - Forum: Stock Market
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27 Oct 2021 Stock Market Prediction
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इंदिरा एकादशी व्रत की कथा Indira Ekadashi Vrat Katha
हरे कृष्णा 2 अक्टूबर शनिवार इंदिरा एकादशी है किसी प्रकार का अनाज ग्रहण नहीं करना चाहिए और किसी को अन्न दान भी नहीं करना चाहिए और ना ही गो माता को अन्न देना चाहिए गुड़ या फल खिलाना चाहिए ???? 3 अक्टूबर रविवार पारण का समय मतलब व्रत खोलने का समय 3/10/2021 को सुबह 6.19 से -10.17 बजे तक है इस समय मे ही व्रत को खोले तो व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. हरे कृष्णा 2/10/2021 इंदिरा एकादशी व्रत की कथा इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर करे नही व्रत करते है तो एकादशी के दिन चावल बिल्कुल भी नहीं खाए ना अन्न खाए ना अन्न दान करें और गो माता को भी अन्न ना दे उनको फल या गुड़ दे एकादशी के दिन हरे कृष्ण महा मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे युधिष्ठिर ने पूछा : हे मधुसूदन ! कृपा करके मुझे यह बताइये कि आश्विन के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आश्विन (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद) के कृष्णपक्ष में ‘इन्दिरा’ नाम की एकादशी होती है । उसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है । नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सदगति देनेवाली है । राजन् ! पूर्वकाल की बात है । सत्ययुग में इन्द्रसेन नाम से विख्यात एक राजकुमार थे, जो माहिष्मतीपुरी के राजा होकर धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते थे । उनका यश सब ओर फैल चुका था । राजा इन्द्रसेन भगवान विष्णु की भक्ति में तत्पर हो गोविन्द के मोक्षदायक नामों का जप करते हुए समय व्यतीत करते थे और विधिपूर्वक अध्यात्मतत्त्व के चिन्तन में संलग्न रहते थे । एक दिन राजा राजसभा में सुखपूर्वक बैठे हुए थे, इतने में ही देवर्षि नारद आकाश से उतरकर वहाँ आ पहुँचे । उन्हें आया हुआ देख राजा हाथ जोड़कर खड़े हो गये और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें आसन पर बिठाया । इसके बाद वे इस प्रकार बोले: ‘मुनिश्रेष्ठ ! आपकी कृपा से मेरी सर्वथा कुशल है । आज आपके दर्शन से मेरी सम्पूर्ण यज्ञ क्रियाएँ सफल हो गयीं । देवर्षे ! अपने आगमन का कारण बताकर मुझ पर कृपा करें । नारदजी ने कहा : नृपश्रेष्ठ ! सुनो । मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डालनेवाली है । मैं ब्रह्मलोक से यमलोक में गया था । वहाँ एक श्रेष्ठ आसन पर बैठा और यमराज ने भक्तिपूर्वक मेरी पूजा की । उस समय यमराज की सभा में मैंने तुम्हारे पिता को भी देखा था । वे व्रतभंग के दोष से वहाँ आये थे । राजन् ! उन्होंने तुमसे कहने के लिए एक सन्देश दिया है, उसे सुनो । उन्होंने कहा है: ‘बेटा ! मुझे ‘इन्दिरा एकादशी’ के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग में भेजो ।’ उनका यह सन्देश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूँ । राजन् ! अपने पिता को स्वर्गलोक की प्राप्ति कराने के लिए ‘इन्दिरा एकादशी’ का व्रत करो । राजा ने पूछा : भगवन् ! कृपा करके ‘इन्दिरा एकादशी’ का व्रत बताइये । किस पक्ष में, किस तिथि को और किस विधि से यह व्रत करना चाहिए । नारदजी ने कहा : राजेन्द्र ! सुनो । मैं तुम्हें इस व्रत की शुभकारक विधि बतलाता हूँ । आश्विन मास के कृष्णपक्ष में दशमी के उत्तम दिन को श्रद्धायुक्त चित्त से प्रतःकाल स्नान करो । फिर मध्याह्नकाल में स्नान करके एकाग्रचित्त हो एक समय भोजन करो तथा रात्रि में भूमि पर सोओ । रात्रि के अन्त में निर्मल प्रभात होने पर एकादशी के दिन दातुन करके मुँह धोओ । इसके बाद भक्तिभाव से निम्नांकित मंत्र पढ़ते हुए उपवास का नियम ग्रहण करो : अघ स्थित्वा निराहारः सर्वभोगविवर्जितः । श्वो भोक्ष्ये पुण्डरीकाक्ष शरणं मे भवाच्युत ॥ कमलनयन भगवान नारायण ! आज मैं सब भोगों से अलग हो निराहार रहकर कल भोजन करुँगा । अच्युत ! आप मुझे शरण दें | इस प्रकार नियम करके मध्याह्नकाल में पितरों की प्रसन्नता के लिए शालग्राम शिला के सम्मुख विधिपूर्वक श्राद्ध करो तथा दक्षिणा से ब्राह्मणों का सत्कार करके उन्हें भोजन कराओ । पितरों को दिये हुए अन्नमय पिण्ड को सूँघकर गाय को खिला दो । फिर धूप और गन्ध आदि से भगवान ह्रषिकेश का पूजन करके रात्रि में उनके समीप जागरण करो । तत्पश्चात् सवेरा होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्तिपूर्वक श्रीहरि की पूजा करो । उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर भाई बन्धु, नाती और पुत्र आदि के साथ स्वयं मौन होकर भोजन करो । राजन् ! इस विधि से आलस्यरहित होकर यह व्रत करो । इससे तुम्हारे पितर भगवान विष्णु के वैकुण्ठधाम में चले जायेंगे । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : राजन् ! राजा इन्द्रसेन से ऐसा कहकर देवर्षि नारद अन्तर्धान हो गये । राजा ने उनकी बतायी हुई विधि से अन्त: पुर की रानियों, पुत्रों और भृत्योंसहित उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया । कुन्तीनन्दन ! व्रत पूर्ण होने पर आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी । इन्द्रसेन के पिता गरुड़ पर आरुढ़ होकर श्रीविष्णुधाम को चले गये और राजर्षि इन्द्रसेन भी निष्कण्टक राज्य का उपभोग करके अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बैठाकर स्वयं स्वर्गलोक को चले गये । इस प्रकार मैंने तुम्हारे सामने ‘इन्दिरा एकादशी’ व्रत के माहात्म्य का वर्णन किया है । इसको पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।
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Wishes of Independence Day & Inviting you for Birthday Celebration of Dr. Mikao Usui
Great Guru founder of Reiki healing Dr Mikao Usui
Dear all Reiki healers and Reiki lovers on the occasion of Dr Mikao Usui's death anniversary we have organize offline & online gathering to give tribute to our great Guru Dr Mikao Usui and we'll discuss about reiki healing. As we know our Great guru healer reiki master Dr Mikao Usui who was the promoter of healing therapy, a form of spiritual practice known as Reiki, used as an alternative therapy for the treatment of physical, emotional, and mental diseases. Dr Usui taught Reiki to over 2,000 people during his lifetime.
Born: 15 August 1865, Japan
Died: 9 March 1926, Fukuyama, Hiroshima, Japan
Duration of session: 3 hours 1 Prayer 2 Reiki learning basic questions and answers 3 Case discussion 4 process of giving reiki healing (Offline) 5 Tips to improve reiki healing practice Time: 4 to 7 pm We all grateful to our ?? Guru Dr Mikao Usui for lifetime. ?❤ May Guruji and God bless you all love and light ????❤
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Reiki healing for removal and to control the Mucormycosis infection.
Patient recovered from Covid-19, after that in his eye there was a fungal infection Mucormycosis Symptoms. Patient's eye had to be removed. Reiki healing given for removal and to control the infection. Brain surgery done to remove fungus. Dr said after operation in brain there is no infection. Reiki healing continued till full recovery. We pray for patient, good health and wellness. Love and Light.
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Today's Prediction: In today's match possibility of winning MUMBAI INDIANS is less than ROYAL CHALLENGERS BANGALORE.
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Today's Prediction:In today's match possibility of winning TEAM A is less/more thanTEAM B.
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Posted by: admin - 03-09-2021, 09:17 AM - Forum: Reiki
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Tribute to our great Guru Dr Mikao Usui
Tribute to our great Guru
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Born: 15 August 1865, Japan
Died: 9 March 1926, Fukuyama, Hiroshima, Japan
Duration of session: 1 hour
1 Prayer
2 Reiki learning basic questions and answers
3 Case discussion
4 process of giving reiki healing (Offline)
5 Tips to improve reiki healing practice
Time: 4 to 5 pm
We all grateful to our ?? Guru Dr Mikao Usui for lifetime. ?❤
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To Join
Zoom meeting invitation - Tribute to Dr Mikao Usui
Celebrity Reiki Grand Master Astrologer Filmmaker is inviting you to a scheduled Zoom meeting.
Topic: Tribute to Dr Mikao Usui
Time: Mar 9, 2021 04:00 PM Mumbai, Kolkata, New Delhi
शैलनट नाट्य संस्था स्व० ललित मोहन थपलियाल जी कृत गढ़वाली हास्य नाटक खाडू लापता का मंचन
सभी बंधु बांधवों को प्रणाम। हमें आप सभी को यह बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि शैलनट नाट्य संस्था स्व० ललित मोहन थपलियाल जी कृत गढ़वाली हास्य नाटक खाडू लापता का मंचन करने जा रहा है। जिसका लाइव प्रसारण विभिन्न फेसबुक पेजों जैसे शैलनट श्रीनगर, बदलता श्रीनगर, बेमिसाल गढ़देश और श्रीनगर दर्शन द्वारा किया जाएगा। आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके 26 जनवरी 2021 शाम 6 बजे खाडू लापता का लाइव प्रसारण देख सकते हैं।
सहयोग - अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर गढ़वाल।
Posted by: स्वाति जायसवाल - 11-16-2020, 10:20 AM - Forum: Share your stuff
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हरे कृष्णा
थोड़ा बड़ा लिखा है पर अपने भाई के लिए पढे जरूर 2 मिनिट ही लगेंगे ज्यादा नहीं हरिबोल
Hare Krishna bhai dujh ki katha भाईदूज की कथा
मथुरा। पांच दिवसीय दीपोत्सव के अंतिम दिन यानि यम द्वितीया को जो भी भाई बहन यमुना में स्नान करते हैं, उन्हें यम फांस से मुक्ति मिलती है। वहीं इस दिन बहिनें भाइयों के उन्नत मस्तक पर टीका कर उनकी लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।
ये है कहानी
सूर्य की पुत्री यमुना शापित होकर नदी के रूप में अपने उद्गम स्थल हिमालय से प्रवाहित होती हुई विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते हुए मथुरा पहुंची। यहां यमुना महारानी ने विश्राम (विश्राम घाट) किया। यमुना के ज्येष्ठ भ्राता और सूर्यपुत्र यमराज बहिन यमुना से मिलने आए। यहां भाई-बहिन का भावुक मिलन हुआ। यमुना ने भाई के माथे पर मंगल तिलक किया तो यमराज ने बहिन से उपहार मांगने को कहा। यमुना ने वर मांगा कि जिस स्थान पर हमारा मिलन हुआ है वहां कोई भी भाई बहिन मेरे जल में स्नान करेगा तो वो यमलोक के कष्टों (यम की फांस) से मुक्त हो जाए। प्रसन्न यमराज ने यमुना को उपहार स्वरूप वरदान प्रदान किया। तभी से प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को बहिन-भाई एक साथ यमुना में स्नान करने को आते हैं।
यमुना जी और धर्मराज की होती है पूजा
यमुना के 25 घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पर्व को मनाते हैं। स्नान के बाद विश्राम घाट स्थित यमुना महारानी व धर्मराज मंदिर में पूजा अर्चना कर वस्त्र, श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है। इसके बाद बहिनें भाइयों के तिलक करती हैं भाई उन्हें उपहार प्रदान करते हैं।
Hare Krishna
भैया दूज के दिन ऐसे करें पूजा: भैया दूज वाले दिन बहने आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर अपने भाई को बिठाकर उनके हाथों की पूजा करें। सबसे पहले बहन अपने भाई के हाथों पर चावलों का घोल लगाए। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र बोले ‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।’ इसके उपरांत बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधे और भाई के मुंह में मिठाई, मिश्री और माखन लगाएं। घर पर भाई सभी प्रकार से प्रसन्नचित्त जीवन व्यतीत करें, ऐसी मंगल कामना करें। उसकी लम्बी उम्र की प्रार्थना करें। उसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जला कर घर की दहलीज के बाहर रखें। जिससे भाई के घर में किसी प्रकार का विघ्न-बाधां न आए और वह सुखमय जीवन व्यतीत करें।
भाईदूज
भाईदूज के दिन भाई बहिन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है। पहला कौर बहिन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहिन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एव उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहिन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहिन मान ले। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहिन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का आश्रय यह है की यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन न करे।
?? आज के दिन बहिन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।
?? आज के दिन बहिन भाई को तथा भाई बहिन को कदन कोई उपहार जरूर दे स्कंदपुराण के अनुसार विशेषतः वस्त्र तथा आभूषण। आज के दिन भाई बहिन का यमुना जी में नहाना भी बहुत शुभ है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह ‘यमद्वितीया’ कहलाती है। इसमें बहिन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। अतः बहिन को उस दिन वस्त्र और आभूषण देने चाहिए। उस तिथि को जो बहिन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है, वह सर्वोत्तम रत्न, धन और धान्य पाता है ।
भाई दूज
दीपावली पर्व के पांचवे दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 16 नवम्बर, सोमवार को है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस पर्व का महत्व इस प्रकार है-
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है।
उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
भाई की उम्र बढ़ानी है तो करें यमराज से प्रार्थना
सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।
भाई की लंबी उम्र के लिए11 बार
हरे कृष्ण महा मंत्र जरूर बोले
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
इसके बाद बहन भाई को भोजन कराती हैं। भोजन के बाद भाई की तिलक लगाती हैं। इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
Hare Krishna
Aaj apne Bhaiya ko raksha sutr jaur badhe matlab ye mantr bol kar badhe bahane bhai ko kalawa
रक्षासूत्र का मंत्र है- 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।' इसका अर्थ है- अर्थात् जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी बंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा|
Posted by: स्वाति जायसवाल - 11-16-2020, 10:18 AM - Forum: Share your stuff
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हरे कृष्णा
तुलसी जी की सेवा कैसे करना चाहिए हमे राधा रानी जी से सीखना चाहिए
राधारानी जी की तुलसी सेवा??
हरिप्रिया तुलसी देवी की जय
एक बार राधा जी सखी से बोलीं, सखी ! तुम श्री कृष्ण की प्रसन्नता के लिए किसी देवता की ऐसी पूजा बताओ जो परम सौभाग्यवर्द्धक हो ?
तब समस्त सखियों में श्रेष्ठ चन्द्रनना ने अपने हदय में एक क्षण तक कुछ विचार किया। फिर बोली चंद्रनना ने कहा, "राधे ! परम सौभाग्यदायक और श्रीकृष्ण की भी प्राप्ति के लिए वरदायक व्रत है, "तुलसी की सेवा" तुम्हें तुलसी सेवन का ही नियम लेना चाहिय *क्योंकि तुलसी का यदि स्पर्श अथवा ध्यान, नाम, संकीर्तन, आरोपण, सेचन, किया जाये तो महान पुण्यप्रद होता है। हे राधे ! जो प्रतिदिन तुलसी की नौ प्रकार से भक्ति करते है। वे कोटि सहस्त्र युगों तक अपने उस सुकृत्य का उत्तम फल भोगते हैं
मनुष्यों की लगायी हुई तुलसी जब तक शाखा, प्रशाखा, बीज, पुष्प, और सुन्दर दलों, के साथ पृथ्वी पर बढ़ती रहती है तब तक उनके वंश मैं जो-जो जन्म लेता है, वे सभी सौ हजार कल्पों तक श्रीहरि के धाम में निवास करते हैं जो तुलसी मंजरी सिर पर रखकर प्राण त्याग करता है। वह सैकड़ों पापों से युक्त क्यों न हो यमराज उनकी ओर देख भी नहीं सकते" इस प्रकार चन्द्रनना की कहीं बात सुनकर रासेश्वरी श्री राधा ने साक्षात् श्री हरि को संतुष्ट करने वाले तुलसी सेवन का व्रत आरंभ किया।
केतकी वन में सौ हाथ गोलाकार भूमि पर बहुत ऊँचा और अत्यंत मनोहर श्री तुलसी का मंदिर बनवाया, जिसकी दीवार सोने से जड़ी थीं और किनारे-किनारे पद्मरागमणि लगी थीं वह सुन्दर-सुन्दर पन्ने हीरे और मोतियों के परकोटे से अत्यंत सुशोभित था, और उसके चारोंं ओर परिक्रमा के लिए गली बनायीं गई थी जिसकी भूमि चिंतामणि से मण्डित थी ऐसे तुलसी मंदिर के मध्य भाग में हरे पल्लवों से सुशोभित तुलसी की स्थापना करके श्री राधा ने अभिजित मुहूर्त में उनकी सेवा प्रारम्भ की।
श्री राधा जी ने आश्र्विन शुक्ला पूर्णिमा से लेकर चैत्र पूर्णिमा तक तुलसी सेवन व्रत का अनुष्ठान किया। व्रत आरंभ करके उन्होंने प्रतिमास पृथक-पृथक रस से तुलसी को सींचा
*कार्तिक में दूध से, "मार्गशीर्ष में ईख(गन्ने)के रस से
"पौष में द्राक्षा रस से
"माघ में बारहमासी आम के रस से",
"फाल्गुन मास में अनेक वस्तुओ से मिश्रित मिश्री के रस से"
"चैत्र मास में पंचामृत से" उनका सेचन किया,
वैशाख कृष्ण प्रतिपदा के दिन उद्यापन का उत्सव किया।
उन्होंने दो लाख ब्राह्मणों को छप्पन भोगों से तृप्त करके वस्त्र और आभूषणों के साथ दक्षिणा दी। मोटे-मोटे दिव्य मोतियों का एक लाख भार और सुवर्ण का एक कोटि भार श्री गर्गाचार्य को दिया उस समय आकाश से देवता तुलसी मंदिर पर फूलों की वर्षा करने लगे।
उसी समय सुवर्ण सिंहासन पर विराजमान हरिप्रिया तुलसी देवी प्रकट हुईं। उनके चार भुजाएँ थीं कमल दल के समान विशाल नेत्र थे सोलह वर्ष की सी अवस्था और श्याम कांति थी। मस्तक पर हेममय किरीट प्रकाशित था और कानों में कंचनमय कुंडल झलमला रहे थे गरुड़ से उतरकर तुलसी देवी ने रंग वल्ली जैसी श्री राधाजी को अपनी भुजाओं से अंक में भर लिया और उनके मुखचन्द्र का चुम्बन किया।
तुलसी जी बोली, "कलावती राधे ! मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ, यहाँ इंद्रिय, मन, बुद्धि, और चित् द्वारा जो-जो मनोरथ तुमने किया है वह सब तुम्हारे सम्मुख सफल हो।"
इस प्रकार हरिप्रिया तुलसी को प्रणाम करके वृषभानु नंदिनी राधा ने उनसे कहा, "देवी ! गोविंद के युगल चरणों में मेरी अहैतुकी भक्ति बनी रहे।" तब तथास्तु कहकर हरिप्रिया अंतर्धान हो गईं। इस प्रकार पृथ्वी पर जो मनुष्य श्री राधिका के इस विचित्र उपाख्यान को सुनता है वह भगवान को पाकर कृतकृत्य हो जाता है।
आप इतना नही कर सकते तो तुलसी जी मे रोज कच्चा दूध जल में मिलाकर चढ़ा दे तांबे के लोटे में दूध ना डाले कोटा चाँदी या इसटिल का ले और कपूर से आरती करें और घी का दीप प्रज्वलित करें इतना जरूर करें संध्या के समय कपूर से आरती ओर दीप प्रज्वलित जरूर करें
जय जय श्री राधे श्याम
जय वृंदा देवी तुलसी महारानी की जय
वृंदावन धाम की जय
जय प्रभुपाद
Posted by: स्वाति जायसवाल - 11-16-2020, 10:16 AM - Forum: Share your stuff
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Hare Krishna
Ekadashi vrat Katha
Ekadashi vrat ke din jarur pade 11/11/2020 aaj vart kare or Deep daan ? jarur kare or vart na kare to bhi katha jarur pade or hare Krishn maha mantr ka jap jarur kare or jo ekadashi vrat ke din jo puri shradha ke sath vart karta hai or Sirf fruits kha kar vart kare to sab se achha hota hai nhi to jese bane vese kare par vart jarur kare or puri ratri hari naam jap, kirtan, kata sunte huye jagran karta hai vo or uske sare pitro ko Krishn ka dham vekund dham milta hai ????????????????
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hàre Hàre
Hare ram Hare ram ram ram Hare Hare
रमा एकादशी व्रत कथा
कार्तिक कृष्ण एकादशी
धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! कार्तिक कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? इसकी विधि क्या है? इसके करने से क्या फल मिलता है। सो आप विस्तारपूर्वक बताइए। भगवान श्रीकृष्ण बोले कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है। इसका माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनो।
हे राजन! प्राचीनकाल में मुचुकुंद नाम का एक राजा था। उसकी इंद्र के साथ मित्रता थी और साथ ही यम, कुबेर, वरुण और विभीषण भी उसके मित्र थे। यह राजा बड़ा धर्मात्मा, विष्णुभक्त और न्याय के साथ राज करता था। उस राजा की एक कन्या थी, जिसका नाम चंद्रभागा था। उस कन्या का विवाह चंद्रसेन के पुत्र शोभन के साथ हुआ था। एक समय वह शोभन ससुराल आया। उन्हीं दिनों जल्दी ही पुण्यदायिनी एकादशी (रमा) भी आने वाली थी।
जब व्रत का दिन समीप आ गया तो चंद्रभागा के मन में अत्यंत सोच उत्पन्न हुआ कि मेरे पति अत्यंत दुर्बल हैं और मेरे पिता की आज्ञा अति कठोर है। दशमी को राजा ने ढोल बजवाकर सारे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि एकादशी को भोजन नहीं करना चाहिए। ढोल की घोषणा सुनते ही शोभन को अत्यंत चिंता हुई औ अपनी पत्नी से कहा कि हे प्रिये! अब क्या करना चाहिए, मैं किसी प्रकार भी भूख सहन नहीं कर सकूँगा। ऐसा उपाय बतलाओ कि जिससे मेरे प्राण बच सकें, अन्यथा मेरे प्राण अवश्य चले जाएँगे।
चंद्रभागा कहने लगी कि हे स्वामी! मेरे पिता के राज में एकादशी के दिन कोई भी भोजन नहीं करता। हाथी, घोड़ा, ऊँट, बिल्ली, गौ आदि भी तृण, अन्न, जल आदि ग्रहण नहीं कर सकते, फिर मनुष्य का तो कहना ही क्या है। यदि आप भोजन करना चाहते हैं तो किसी दूसरे स्थान पर चले जाइए, क्योंकि यदि आप यहीं रहना चाहते हैं तो आपको अवश्य व्रत करना पड़ेगा। ऐसा सुनकर शोभन कहने लगा कि हे प्रिये! मैं अवश्य व्रत करूँगा, जो भाग्य में होगा, वह देखा जाएगा।
धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा कार्तिक कृष्ण एकादशी का नाम, इसकी विधि, उसका फल कैसे मिलता हैं यह मिलता है यह विस्तारपूर्वक बताइए। ऐसा पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण बोले कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है।
इस प्रकार से विचार कर शोभन ने व्रत रख लिया और वह भूख व प्यास से अत्यंत पीडि़त होने लगा। जब सूर्य नारायण अस्त हो गए और रात्रि को जागरण का समय आया जो वैष्णवों को अत्यंत हर्ष देने वाला था, परंतु शोभन के लिए अत्यंत दु:खदायी हुआ। प्रात:काल होते शोभन के प्राण निकल गए। तब राजा ने सुगंधित काष्ठ से उसका दाह संस्कार करवाया। परंतु चंद्रभागा ने अपने पिता की आज्ञा से अपने शरीर को दग्ध नहीं किया और शोभन की अंत्येष्टि क्रिया के बाद अपने पिता के घर में ही रहने लगी।
रमा एकादशी के प्रभाव से शोभन को मंदराचल पर्वत पर धन-धान्य से युक्त तथा शत्रुओं से रहित एक सुंदर देवपुर प्राप्त हुआ। वह अत्यंत सुंदर रत्न और वैदुर्यमणि जटित स्वर्ण के खंभों पर निर्मित अनेक प्रकार की स्फटिक मणियों से सुशोभित भवन में बहुमूल्य वस्त्राभूषणों तथा छत्र व चँवर से विभूषित, गंधर्व और अप्सराअओं से युक्त सिंहासन पर आरूढ़ ऐसा शोभायमान होता था मानो दूसरा इंद्र विराजमान हो।
एक समय मुचुकुंद नगर में रहने वाले एक सोम शर्मा नामक ब्राह्मण तीर्थयात्रा करता हुआ घूमता-घूमता उधर जा निकला और उसने शोभन को पहचान कर कि यह तो राजा का जमाई शोभन है, उसके निकट गया। शोभन भी उसे पहचान कर अपने आसन से उठकर उसके पास आया और प्रणामादि करके कुशल प्रश्न किया। ब्राह्मण ने कहा कि राजा मुचुकुंद और आपकी पत्नी कुशल से हैं। नगर में भी सब प्रकार से कुशल हैं, परंतु हे राजन! हमें आश्चर्य हो रहा है। आप अपना वृत्तांत कहिए कि ऐसा सुंदर नगर जो न कभी देखा, न सुना, आपको कैसे प्राप्त हुआ।
तब शोभन बोला कि कार्तिक कृष्ण की रमा एकादशी का व्रत करने से मुझे यह नगर प्राप्त हुआ, परंतु यह अस्थिर है। यह स्थिर हो जाए ऐसा उपाय कीजिए। ब्राह्मण कहने लगा कि हे राजन! यह स्थिर क्यों नहीं है और कैसे स्थिर हो सकता है आप बताइए, फिर मैं अवश्यमेव वह उपाय करूँगा। मेरी इस बात को आप मिथ्या न समझिए। शोभन ने कहा कि मैंने इस व्रत को श्रद्धारहित होकर किया है। अत: यह सब कुछ अस्थिर है। यदि आप मुचुकुंद की कन्या चंद्रभागा को यह सब वृत्तांत कहें तो यह स्थिर हो सकता है।
ऐसा सुनकर उस श्रेष्ठ ब्राह्मण ने अपने नगर लौटकर चंद्रभागा से सब वृत्तांत कह सुनाया। ब्राह्मण के वचन सुनकर चंद्रभागा बड़ी प्रसन्नता से ब्राह्मण से कहने लगी कि हे ब्राह्मण! ये सब बातें आपने प्रत्यक्ष देखी हैं या स्वप्न की बातें कर रहे हैं। ब्राह्मण कहने लगा कि हे पुत्री! मैंने महावन में तुम्हारे पति को प्रत्यक्ष देखा है। साथ ही किसी से विजय न हो ऐसा देवताओं के नगर के समान उनका नगर भी देखा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिर नहीं है। जिस प्रकार वह स्थिर रह सके सो उपाय करना चाहिए।
चंद्रभागा कहने लगी हे विप्र! तुम मुझे वहाँ ले चलो, मुझे पतिदेव के दर्शन की तीव्र लालसा है। मैं अपने किए हुए पुण्य से उस नगर को स्थिर बना दूँगी। आप ऐसा कार्य कीजिए जिससे उनका हमारा संयोग हो क्योंकि वियोगी को मिला देना महान पु्ण्य है। सोम शर्मा यह बात सुनकर चंद्रभागा को लेकर मंदराचल पर्वत के समीप वामदेव ऋषि के आश्रम पर गया। वामदेवजी ने सारी बात सुनकर वेद मंत्रों के उच्चारण से चंद्रभागा का अभिषेक कर दिया। तब ऋषि के मंत्र के प्रभाव और एकादशी के व्रत से चंद्रभागा का शरीर दिव्य हो गया और वह दिव्य गति को प्राप्त हुई।
इसके बाद बड़ी प्रसन्नता के साथ अपने पति के निकट गई। अपनी प्रिय पत्नी को आते देखकर शोभन अति प्रसन्न हुआ। और उसे बुलाकर अपनी बाईं तरफ बिठा लिया। चंद्रभागा कहने लगी कि हे प्राणनाथ! आप मेरे पुण्य को ग्रहण कीजिए। अपने पिता के घर जब मैं आठ वर्ष की थी तब से विधिपूर्वक एकादशी के व्रत को श्रद्धापूर्वक करती आ रही हूँ। इस पुण्य के प्रताप से आपका यह नगर स्थिर हो जाएगा तथा समस्त कर्मों से युक्त होकर प्रलय के अंत तक रहेगा। इस प्रकार चंद्रभागा ने दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सुसज्जित होकर अपने पति के साथ आनंदपूर्वक रहने लगी।
हे राजन! यह मैंने रमा एकादशी का माहात्म्य कहा है, जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, उनके ब्रह्म हत्यादि समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों की एकादशियाँ समान हैं, इनमें कोई भेदभाव नहीं है। दोनों समान फल देती हैं। जो मनुष्य इस माहात्म्य को पढ़ते अथवा सुनते हैं, वे समस्त पापों से छूटकर विष्णुलोक को प्राप्त होता हैं।
Posted by: Shorya Singh Kushwah - 11-11-2020, 08:30 AM - Forum: Share your stuff
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भगवान कब याद आते हैं?
धर्मात्मा को हर समय !
पापी को मृत्यु के समय !
चोर को पकड़े जाने पर !
गरीब को भूख लगने पर !
धनी को बीमार हो जाने पर !
कंजूस को पैसा खो जाने पर !
किसान को वर्षा नहीं होने पर !
मुसाफिर को ट्रेन छूट जाने पर !
व्यापारी को नुकसान हो जाने पर !
राजनीतिज्ञ को चुनाव हार जाने पर !
अफसर को रिश्वत लेते समय पकड़े जाने पर !
विद्यार्थी को परीक्षा फल के समय !
सच्चे इंसान को पूरी दुनिया के साथ ईमानदारी के साथ व्यवहार करने के बाद भी धोखा मिलने पर !
लेकिन जो प्रभु के अत्यन्त सच्चे भक्त है उनको तो हर समय सुख में, दुख में, सोते , जागते, उठते, बैठते,हर समय हर जगह प्रभु ही प्रभु याद आते हैं .....!!
लगन में रहिये हमेशा, मग्न रहिये अपने प्रभु की याद में।
Posted by: Shorya Singh Kushwah - 11-11-2020, 08:29 AM - Forum: Share your stuff
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आख़िर तक हार न मानने वाले एक दिन जीत ही जाते हैं।
बाइडन 7 नवम्बर 1972 को पहली बार अमेरिकी सीनेट के लिए चुने गए थे।
आज 48 साल बाद 7 नवम्बर 2020 के दिन पहली बार राष्ट्रपति बने।
आज जब बाइडन राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए हैं तब उनकी उम्र 78 वर्ष है, वो अमेरिकी इतिहास के सबसे जवान सीनेटर बने थे और सबसे बूढ़े राष्ट्रपति बने हैं।
आम भारतीयों को इससे कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता कि अमेरिका का राष्ट्रपति कोई डेमोक्रेट बनता है या रिपब्लिकन लेकिन इस बात से ज़रूर फ़र्क़ पड़ता है कि दुनिया में कुछ भी सम्भव है या कहा जाए कि सब कुछ सम्भव है। ट्रम्प पिछली बार राष्ट्रपति बनने के सिर्फ़ एक साल पहले राजनीति में आए थे और बाइडन पिछले 48 साल से राजनीति में हैं लेकिन राष्ट्रपति बने वो अब जाकर।
इस बीच एक और बात जो जानने योग्य है वो ये कि बाइडन का बेटा राष्ट्रपति पद का तगड़ा उम्मीदवार माना जाने लगा था लेकिन 46 वर्ष की उम्र में उसकी मौत हो गयी और अपने बेटे का अधूरा सपना पूरा करने के लिए जो बाइडन देश के 46 वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।
तो कुल मिलाकर ऐसा है कि दुनिया में सब कुछ सम्भव है, और आख़िर तक हार न मानने वाले एक दिन जीत ही जाते हैं।
दिवाली के दिन लक्ष्मीजी का कौनसा चित्र लगाकर पूजा करें?
⭕दीपावली पर माता लक्ष्मी का कौनसा चित्र लगाना चाहिए यह सभी के मन में सवाल होगा तो आओ जानते हैं कि दिवाली पर माता लक्ष्मी के पूजन हेतु कौसा चित्र लगाकर उनकी पूजा करना शुभ होता है।
⚜️ऐसे चित्र ना लगाएं :-
माता लक्ष्मी को चित्र में उल्लू, हाथी या कमल पर विराजमान बताया जाता है। उल्लू पर बैठी हुई मां लक्ष्मी का चित्र पूजन में रखने से लक्ष्मी नकारात्मकता लेकर आती है। क्योंकि उल्लू वाहन से आई लक्ष्मी गलत दिशा से आने और जाने वाले धन की ओर इशारा करती हैं। इसलिए उल्लू पर लक्ष्मी का आना उतना शुभ नहीं होता।
?जिस चित्र या तस्वीर में अकेली लक्ष्मी हो ऐसा चित्र भी पूजा हेतु दीपावली के दिन नहीं लगाएं। मान्यता अनुसार अकेली लक्ष्मी मां के चित्र का पूजन करने की अपेक्षा गणेश व सरस्वती के साथ उनका पूजन अति कल्याणकारी होता है।
⚜️ऐसे चित्र लगाएं :-
लक्ष्मी जी का वह चित्र जिसमें वे उनके एक ओर श्रीगणेश और दूसरी ओर सरस्वती हो तथा माता लक्ष्मी दोनों हाथों से धन बरसा रही हों, धन प्राप्ति के लिए बहुत शुभ होता है। यदि बैठी हुई लक्ष्मी माता के चित्र ला रहे हैं तो लक्ष्मी मां का वह चित्र लेकर आएं, जिसमें कमल के आसन पर बैठी हुई हों और उनके आसमान सुंड उठाए हाथी हों। इस तरह के चित्र का पूजन करने से मां लक्ष्मी सदैव आपके घर में विराजमान रहेंगी। चित्र में माता लक्ष्मी के पैर दिखाई नहीं देते हों अन्यथा लक्ष्मी घर में लंबे समय तक नहीं टिकती। इसलिए बैठी हुई लक्ष्मी को ही सर्वश्रेृष्ठ माना गया है।
चित्र में मां लक्ष्मी के साथ अगर ऐरावत हाथी भी है, तो वह अद्भुत और शुभ फलों को प्रदान करेगा। कुछ तस्वीरों में लक्ष्मी मां के दोनों ओर दो हाथी बहते पानी में खड़े होते हैं और सिक्कों की बारिश करते हैं। इस तरह का चित्र पूजने से किसी भी स्थिति में घर में धन की कमी नहीं होती। इसके अलावा यदि सूंड में कलश लिए हुए हाथी भी खड़े हों तो शुभ माना जाता है।
भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी के चित्र हो तो आप उसकी पूजा भी कर सकते हैं। नारायण को आमंत्रित करके मां लक्ष्मी को घर में विराजित किया जाता है। भगवान विष्णु के साथ घर में पधारने वाली मां लक्ष्मी गरुड़ वाहन पर आती हैं, जो कि बेहद शुभ और कल्याणकारी होता है। इस प्रकार घर में आया हुआ धन सदैव कल्याण करता है।
एक सेठ जी ने अपने छोटे भाई को तीन लाख रूपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया, लेकिन उसने रूपये बड़े भाई को वापस नहीं लौटाये।
आखिर दोनों में झगड़ा हो गया, झगड़ा भी इस सीमा तक बढ़ गया कि दोनों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना बिल्कुल बंद हो गया। घृणा व द्वेष का आंतरिक संबंध अत्यंत गहरा हो गया। सेठ जी, हर समय हर संबंधी के सामने अपने छोटे भाई की निंदा-निरादर व आलोचना करने लगे।
सेठ जी अच्छे साधक भी थे, लेकिन इस कारण उनकी साधना लड़खड़ाने लगी। भजन पूजन के समय भी उन्हें छोटे भाई का चिंतन होने लगा। मानसिक व्यथा का प्रभाव तन पर भी पड़ने लगा। बेचैनी बढ़ गयी। समाधान नहीं मिल रहा था। आखिर वे एक संत के पास गये और अपनी व्यथा सुनायी।
संतश्री ने कहाः- 'बेटा ! तू चिंता मत कर। ईश्वरकृपा से सब ठीक हो जायेगा। तुम कुछ फल व मिठाइयाँ लेकर छोटे भाई के यहाँ जाना और मिलते ही उससे केवल इतना कहना, 'अनुज ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे "क्षमा" कर दो।'
सेठ जी ने कहाः- "महाराज ! मैंने ही उनकी मदद की है और "क्षमा" भी मैं ही माँगू !"
संतश्री ने उत्तर दियाः- "परिवार में ऐसा कोई भी संघर्ष नहीं हो सकता, जिसमें दोनों पक्षों की गलती न हो। चाहे एक पक्ष की भूल एक प्रतिशत हो दूसरे पक्ष की निन्यानवे प्रतिशत, पर भूल दोनों तरफ से होगी।"
सेठ जी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने कहाः- "महाराज ! मुझसे क्या भूल हुई ?"
"बेटा ! तुमने मन ही मन अपने छोटे भाई को बुरा समझा– यही है तुम्हारी पहली भूल।
तुमने उसकी निंदा, आलोचना व तिरस्कार किया– यह है तुम्हारी दूसरी भूल।
क्रोध पूर्ण आँखों से उसके दोषों को देखा– यह है तुम्हारी तीसरी भूल।
अपने कानों से उसकी निंदा सुनी– यह है तुम्हारी चौथी भूल।
तुम्हारे हृदय में छोटे भाई के प्रति क्रोध व घृणा है– यह है तुम्हारी आखिरी भूल।
अपनी इन भूलों से तुमने अपने छोटे भाई को दुःख दिया है। तुम्हारा दिया दुःख ही कई गुना हो तुम्हारे पास लौटा है। जाओ, अपनी भूलों के लिए "क्षमा" माँगों। नहीं तो तुम न चैन से जी सकोगे, न चैन से मर सकोगे। क्षमा माँगना बहुत बड़ी साधना है। ओर तुम तो एक बहुत अच्छे साधक हो।"
सेठ जी की आँखें खुल गयीं। संतश्री को प्रणाम करके वे छोटे भाई के घर पहुँचे। सब लोग भोजन की तैयारी में थे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा उनके भतीजे ने खोला। सामने ताऊ जी को देखकर वह अवाक् सा रह गया और खुशी से झूमकर जोर-जोर से चिल्लाने लगाः "मम्मी ! पापा !! देखो कौन आये ! ताऊ जी आये हैं, ताऊ जी आये हैं....।"
माता-पिता ने दरवाजे की तरफ देखा। सोचा, 'कहीं हम सपना तो नहीं देख रहे !' छोटा भाई हर्ष से पुलकित हो उठा, 'अहा ! पन्द्रह वर्ष के बाद आज बड़े भैया घर पर आये हैं।' प्रेम से गला रूँध गया, कुछ बोल न सका। सेठ जी ने फल व मिठाइयाँ टेबल पर रखीं और दोनों हाथ जोड़कर छोटे भाई को कहाः- "भाई ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे क्षमा करो ।"
"क्षमा" शब्द निकलते ही उनके हृदय का प्रेम अश्रु बनकर बहने लगा। छोटा भाई उनके चरणों में गिर गया और अपनी भूल के लिए रो-रोकर क्षमा याचना करने लगा। बड़े भाई के प्रेमाश्रु छोटे भाई की पीठ पर और छोटी भाई के पश्चाताप व प्रेममिश्रित अश्रु बड़े भाई के चरणों में गिरने लगे।
क्षमा व प्रेम का अथाह सागर फूट पड़ा। सब शांत, चुप, सबकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बहने लगी। छोटा भाई उठ कर गया और रूपये लाकर बडे भाई के सामने रख दिये। बडे भाई ने कहा "भाई! आज मैं इन कौड़ियों को लेने के लिए नहीं आया हूँ। मैं अपनी भूल मिटाने, अपनी साधना को सजीव बनाने और द्वेष का नाश करके प्रेम की गंगा बहाने आया हूँ ।
मेरा आना सफल हो गया, मेरा दुःख मिट गया। अब मुझे आनंद का एहसास हो रहा है।"
छोटे भाई ने कहाः- "भैया ! जब तक आप ये रूपये नहीं लेंगे तब तक मेरे हृदय की तपन नहीं मिटेगी। कृपा करके आप ये रूपये ले लें।
सेठ जी ने छोटे भाई से रूपये लिये और अपने इच्छानुसार अनुज बधू , भतीजे व भतीजी में बाँट दिये । सब कार में बैठे, घर पहुँचे।
पन्द्रह वर्ष बाद उस अर्धरात्रि में जब पूरे परिवार, का मिलन हुआ तो ऐसा लग रहा था कि मानो साक्षात् प्रेम ही शरीर धारण किये वहाँ पहुँच गया हो।
सारा परिवार प्रेम के अथाह सागर में मस्त हो रहा था। "क्षमा" माँगने के बाद उस सेठ जी के दुःख, चिंता, तनाव, भय, निराशारूपी मानसिक रोग जड़ से ही मिट गये और साधना सजीव हो उठी।
हमें भी अपने दिल में "क्षमा" रखनी चाहिए अपने सामने छोटा हो या बडा अपनी गलती हो या ना हो क्षमा मांग लेने से सब झगडे समाप्त हो जाते है।
मेरी भूलो के लिये मैं क्षमाप्रार्थी हूँ
जय श्री कृष्ण??
*─⊱━━━━⊱(राधे राधे)⊰━━━━━⊰─
एक समय एक गांव में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे । एक गरीब था, दूसरा अमीर । दोनों पड़ोसी थे। गरीब ब्राम्हण की पत्नी उसे रोज ताने देती, झगड़ती ।
एक दिन ग्यारस के दिन गरीब ब्राह्मण पुत्र रोज-रोज की कलह से तंग आकर जंगल की ओर चल पड़ता है,
"ये सोचकर कि जंगल में शेर या कोई मांसाहारी जीव उसे मारकर खा जाएगा, उस जीव का पेट भर जाएगा और मरने से वह रोज की झिक-झिक से भी मुक्त हो जाएगा ।"
जंगल में पहुंचते ही उसे एक गुफा दिखाई देती है । वह गुफा की तरफ जाता है । गुफा में एक शेर सोया होता है, और शेर की नींद में खलल न पड़े, इसके लिए हंस का पहरा होता है ।
हंस जब दूर से ब्राह्मण पुत्र को आता देखता है, तो चिंता में पड़कर सोचता है,
"ये ब्राह्मण आएगा, शेर की नींद में व्यवधान पैदा होगा, वह क्रोध में उठेगा और इसे मारकर खा जाएगा । ग्यारस के दिन मुझे पाप लगेगा । इसे कैसे बचाया जाए...??"
हंस को एक उपाय सूझता है और वह शेर के भाग्य की तारीफ करते हुए कहता है,
"ओ जंगल के राजा, उठो, जागो, आज आपके भाग्य खुल गए हैं । देखो ग्यारस के दिन खुद विप्रदेव आपके घर पधारे हैं, जल्दी उठें और इन्हें दक्षिणा देकर विदा करें, आपका मोक्ष हो जाएगा, आपको पशु योनि से मुक्ति मिल जाएगी । ये दिन दुबारा आपकी जिंदगी में फिर कभी नहीं आएगा..!"
शेर दहाड़ मारकर उठता है । हंस की बात उसे सही लगती है और पूर्व में शिकार किए गए मनुष्यों के गहने वह ब्राह्मण के पैरों में रखकर अपना शीश नवाता है, जीभ से उसके पैर चाटकर उसका अभिवादन करता है ।
हंस ब्राह्मण को इशारा करता है, "विप्रदेव ये सब गहने, सोना-चांदी उठाओ और जितनी जल्दी हो सके वापस अपने घर चले जाओ । ये सिंह है, पता नहीं कब इसका मन बदल जाए..!"
ब्राह्मण हंस के इशारे को समझ जाता है और तुरंत घर लौट जाता है । उधर पड़ोसी अमीर ब्राह्मण की पत्नी को जब यह सब पता चलता है, तो वह भी अपने पति को जबरदस्ती अगली ग्यारस के दिन जंगल में उसी शेर की गुफा की ओर भेजती है ।
अब शेर का पहरेदार बदल गया है...नया पहरेदार होता है... "कौवा"
कौवे की जैसी प्रवृति होती है, वह सोचता है, "बहुत बढ़िया है, ब्राह्मण आया है, शेर को जगा दूं । शेर की नींद में खलल पड़ेगी, वह क्रोधित होगा, ब्राह्मण को मारेगा, तो कुछ मेरे भी हाथ लगेगा, मेरा भी पेट भर जाएगा ।"
यह सोचकर वह कांव... कांव... कांव... चिल्लाने लगता है ।
शेर अत्यंत क्रोधित होकर उठता है । दूसरे ब्राह्मण पर उसकी नजर पड़ती है । परंतु उसे हंस की बात याद आ जाती है । वह समझ जाता है, कौवा क्यों कांव... कांव...कर रहा है ।
वह अपने, हंस के कहने पर पहले किए गए धर्म-कर्म को खत्म नहीं करना चाहता । पर फिर भी शेर, शेर होता है, जंगल का राजा । वह दहाड़ कर ब्राह्मण को कहता है, "हंस उड़ सरवर गए और अब काग भये कोतवाल, रे तो विप्रा थारे घरे जाओ, मैं किनाइनी जजमान..!"
अर्थात, हंस जो अच्छी सोच वाले थे, अच्छी मनोवृत्ति वाले थे, वह उड़कर सरोवर चले गए, अब कौवा कोतवाल पहरेदार है, जो मुझे तुम्हें मारकर खा जाने के लिए उकसा रहा है । मेरी बुध्दि फिर जाए, उससे पहले ही हे ब्राह्मण, तुम यहां से चले जाओ, शेर किसी का जजमान नहीं होता, वह तो हंस था, जिसने मुझ शेर से भी पुण्य कर्म करवा दिया ।"
दूसरा ब्राह्मण सारी बात समझ जाता है और ड़र के मारे तुरंत प्राण बचाकर अपने घर की ओर भाग जाता है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि हंस और कौवा कोई और नहीं, हमारे यानि आदमी के ही दो चरित्र हैं ।
हममें से जब कोई किसी का दु:ख देख दु:खी होता है, और उसका भला सोचता है, तब वह हंस होता है । और जो किसी को दु:खी देखना चाहता है, किसी का सुख जिसे सहन नहीं होता, वह कौवा है ।
जो आपस में मिल-जुलकर, भाईचारे से रहना चाहते हैं, वे हंस प्रवृत्ति के हैं ।
जो झगड़ा करके, कलह करके एक-दूसरे को मारने, लूटने, प्रताड़ित करने की प्रवृत्ति रखते हैं, वे कौवे की प्रवृति के होते हैं ।
अपने आस-पास छुपे बैठे कौवों को पहचानो, उनसे दूर रहो और जो हंस प्रवृत्ति के हैं, उनका साथ करो, उनकी संगति करो, इसी में हम सब का कल्याण निहित है ।
पति
असमर्थ था,,
अपने आँसू को नियंत्रित करने कर पाने में...
चिकित्सक:
हम हैं..
हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयास के लिये
परंतु कुछ भी गारंटी नहीं दे सकते।
उसका शरीर
प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है...
ऐसा लगता है कि वह कोमा में है..
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पति: प्लीज डा०...
उसे बचा ली लीजिए...
उसकी उम्र ही क्या है...
अभी सिर्फ 31 साल की है..
एक बच्चा है हमारा..
परिवार को जरूरत है उसकी...
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हमारे सपने, जो हमने साथ मिल के देखे,,, बोलते बोलते उसका गला भर आया...
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अचानक से कुछ हुआ,
चमत्कारिक ढंग से...
ईसीजी में हरकत सी हुई...
उसके हाथ हिलने लगे,,,,
उसके होंठ कांपने लगे,,
हल्के से आंखे खोली ,,,
और धीरे से बुदबुदाई,,,,
"मैं 29 की हूँ..."
?????
Wish u all a happy karwa chauth day
करवा चौथ की इससे बेहतर शुभकामनाएं नहीं हो सकती:-
श्रीरामचरित मानस की चौपाई...
अचल होउ अहिवातु तुम्हारा।
जब लगि गंग जमुन जल धारा॥
भावार्थ:- जब तक गंगाजी और यमुनाजी में जल की धारा बहे, तब तक तुम्हारा सुहाग अचल रहे।।
सभी को सपरिवार करवा चौथ व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं।।
नर्मदे हर
ज़िन्दगी भर ???
मंदी का करवा-चौथ
मेरे एक मित्र पुनीत कुमार जी को फ्लैट बेचने वाली कंपनी की सेल्स गर्ल के लगातार फ्लैट खरीदने के फोन आ रहे थे।तो उन्होंने टालने के हिसाब से बोल दिया कि आज रात ७-८ बजे के बीच आ जाऊंगा, हुआ यों कि उसी दिन करवा चौथ का दिन पड़ गया था।उसके बाद उनके घर से फोन आया कि आते समय बाजार से छलनी लेते आना , ऑफिस छूटने के बाद मित्र बाजार गये और एक छलनी खरीदी , मंदी के कारण एक छलनी पर एक छलनी मुफ्त (free) में मिल रही थी । मित्र दोनों छलनी लेकर करीब ७:३० पर घर पहुंचे और फ्रेश होने चले गए। भाभी जी ने झोला चेक किया तो उनको दो छलनी दिखी तो उनका माथा ठनका।
तभी उस सेल्स गर्ल का फोन आ गया ,जिसे भाभी जी ने उठाया, तो वो बोली , "सर आपने वादा किया था कि आप आठ बजे तक आएंगे?" " मैं कब से तैयार होकर आपका इंतज़ार कर रही हूं।"
उसके बाद की घटना बताने लायक नहीं है
???????
Happy karwa Chouth
यदि आप चंद्रमा को देखते हैं तो आप ईश्वर के सौंदर्य को देखते हैं, यदि आप सूर्य को देखते हैं, तो आप ईश्वर की शक्ति को देखते हैं और यदि आप दर्पण को देखते हैं तो आप भगवान की सर्वश्रेष्ठ
रचना को देखते हैं इसलिए अपने पर विश्वास करे की दुनिया के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति आप ही हैं आप हैं तो दुनिया है परंतु उसका अहंकार नहीं जीवन प्रभु का प्रसाद है इस दृष्टि से देखना चाहिए
जय श्री कृष्णा
गिले-शिकवों का भी कोई अंत नहीं साहिब..!
पत्थरों को शिकायत ये कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम
और पानी का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते
??? सुप्रभात ???
लोगों को इज्जत देना ओर उन्हें माफ कर देना ये दोनो कमजोरी अगर आप के अंदर है,
✹ दरिद्रता के कारण ✹
✹ सुबह देरी से उठाना ।
✹ बिना नहाये धोये खाना ।
✹ मैले कपडे पहने रहना ।
✹ बालों को सवारना नही ।
✹ घर में मकड़ी के जाले लगे रहना ।
✹ शाम को घर मे अंधेरा रखना ।
✹ दांतो से नाख़ून को काटना ।
✹ घर मे बात बात पर झगड़ना ।
✹ बाएं पैर से पैंट पहना ।
✹ मेहमान आने पर नाराज होना।
✹ आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
✹ रोटी काट कर खाना।
✹ चालीस दिन से ज्यादा बाल रखना ।
✹ पीने का पानी रात में खुला रखना
✹ रात में मागने वाले को कुछ ना देना
✹ बुरे ख्याल लाना।
✹ पवित्रता के बगैर धर्मग्रंथ पढना।
✹ शौच करते वक्त बाते करना।
✹ हाथ धोए बगैर भोजन करना ।
✹ अपनी औलाद को कोसना।
✹ दरवाजे पर बैठना।
✹ लहसुन प्याज के छिलके जलाना।
✹ साधू फकीर को अपमानित करना ।
✹ फूंक मार के दीपक बुझाना।
✹ ईश्वर को धन्यवाद किए बगैर भोजन करना
✹ झूठी कसम खाना।
✹ जूते चप्पल उल्टा देख करउसको सीधा नही करना।
बात बात में मां बाप का टोकना हमें अखरता है । हम भीतर ही भीतर झल्लाते है कि कब इनके टोकने की आदत से हमारा पीछा जुटेगा । लेकिन हम ये भूल जाते है कि उनके टोकने से जो संस्कार हम ग्रहण कर रहे हैं, उनकी जीवन में क्या अहमियत है । इसी पर एक लेख किसी भाई ने भेजा है, जिसे मैं आगे शेयर करने से अपने आप को रोक नहीं पाया ।
साक्षात्कार
बड़ी दौड़ धूप के बाद ,
मैं आज एक ऑफिस में पहुंचा,
आज मेरा पहला इंटरव्यू था ,
घर से निकलते हुए मैं सोच रहा था,
काश ! इंटरव्यू में आज
कामयाब हो गया , तो अपने
पुश्तैनी मकान को अलविदा
कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा, मम्मी पापा की रोज़ की
चिक चिक, मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा।
सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक से परेशान हो गया हूँ।
जब सो कर उठो , तो पहले
बिस्तर ठीक करो ,
फिर बाथरूम जाओ,
बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है
नल बंद कर दिया?
तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया?
नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है
पंखा बंद किया या चल रहा है?
क्या - क्या सुनें यार ,
नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा..
वहाँ उस ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठे थे, बॉस का इंतज़ार कर रहे थे।
दस बज गए।
मैने देखा वहाँ आफिस में बरामदे की बत्ती अभी तक जल रही है ,
माँ याद आ गई , तो मैने बत्ती बुझा दी।
ऑफिस में रखे वाटर कूलर से पानी टपक रहा था ,
पापा की डांट याद आ गयी, तो पानी बन्द कर दिया।
बोर्ड पर लिखा था, इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा।
सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी , बंद करके आगे बढ़ा ,
तो एक कुर्सी रास्ते में थी, उसे हटाकर ऊपर गया।
?देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते,
पता किया तो मालूम हुआ बॉस
फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं,
वापस भेज देते हैं ।?
नंबर आने पर मैने फाइल
मैनेजर की तरफ बढ़ा दी ।
कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा
"कब ज्वाइन कर रहे हो?"
उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे
मज़ाक़ हो,
वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे, ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है।
आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं,
सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा ,
सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया।
धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप, जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए।
जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता।
घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया।
अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से , मुझे जो सबक़ हासिल हुआ , उसके मुक़ाबले , मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं , तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...
संसार में जीने के लिए संस्कार जरूरी है।
संस्कार के लिए मां बाप का सम्मान जरूरी है।
जिन्दगी रहे ना रहे, जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है।
गाय की पूरी शारीरिक संरचना विज्ञान पर आधारित है; जानें कैसे
हम बीमार क्यों होते हैं इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि हमारा शरीर पंचभूतों से निर्मित है। मानव के अतिरिक्त मानव उपयोगी समस्त जीवों का भी शरीर भी पंचभूतों से ही निर्मित है । वर्तमान चिकित्सा पद्धतियाँ आज के समय रासायनिक तरीकों से चिकित्सा करती हैं , उन्हें पंचभूत को संतुलित करने का कोई ज्ञान नहीं है । आज के समय मानव निर्मित सारे पंचभूत चाहे वह मिट्टी हो , जल हो , वायु हो , अग्नि हो या आकाश हो सब कुछ दूषित हो चुका है ।
हमारे महान ऋषि-मुनियों की प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों में पंचभूतो को ध्यान में रखकर चिकित्सा की जाती थी । हमें हमारे वातावरण के अनुरूप आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का ज्ञान हमारे ऋषि-मुनियों से मिला जो मानव की नाड़ी देखकर यह ज्ञात कर लेते थे कि हमारे शरीर का कौन सा पंचभूत असंतुलित है और उसके अनुरूप ही वो चिकित्सा करते थे ।
विश्व में यदि कहीं भी चिकित्सा का ज्ञान सर्वप्रथम उद्भव हुआ तो वह हमारा देश आर्याव्रत भारत वर्ष ही है । सर्वप्रथम पूरे विश्व को ज्ञान हमारे महान ऋषि-मुनियों ने दिया चाहे वह अध्यात्मिक क्षेत्र हो या आयुर्वेदिक का क्षेत्र हो । यदि किसी भी व्यक्ति ज्ञान ना हो तो वह व्यक्ति उस ज्ञान को जानने का प्रयास करता है लेकिन यहाँ उल्टा हुआ। अनेक विदेशी लुटेरों ने हमारे ज्ञान को लूटा और हमारे अस्तित्व को मिटाने के लिए उसमे आग लगा दी । वर्षों तक हमारे ज्ञानपीठ गुरुकुल तक्षशिला की पुस्तके आग में धू-धू करके जलती रही , इतना ही नहीं बचा खुचा ज्ञान भी हमारी संस्कृति को भी नष्ट करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है ।
अब प्रश्न यह उठता है जिस धरती को हम अपनी माँ मानते हैं उस धरती पर प्रतिदिन लाखों लीटर रासायनिक जहर डाला जा रहा है ..? ऐसा क्यों…? विदेशों से प्रतिवर्ष अरबों टन कचरे को लाकर हमारी धरती पर को मरुस्थल बनाया जा रहा है । क्या हमारी यही संस्कृति है कि हम अपनी माँ को जहर दें , उसे कूड़ाघर बनाकर दूषित कर दें। हमारे देव तत्व जल , अग्नि , वायु और आकाश सब कुछ दूषित हो चुके हैं ।
पूरी नदियों में उद्योंगो के कचरे को डालकर गंदे नाले के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है । वायु में असंख्य कीटनाशक रसायन , रेडियोएक्टिव पदार्थ डालकर वायु को दूषित किया जा रहा है । रेडियोएक्टिव तरंगो द्वारा आकाश तत्व को दूषित किया जा रहा है । हमारे शास्त्रों में लिखा है अनावश्यक रूप से अग्नि का प्रयोग ना करें , लेकिन चाहे हमें बीडी -सिगरेट जलाना हो या बड़े-बड़े उद्योग कारखाने चलाने हो , आवश्यकता हो या ना हो हमेशा अग्नि को जलाया जाता है ।
इन सब तमाम बातों का हमारे स्वास्थ्य और चिकित्सा से गहरा सम्बन्ध है , हमारी संस्कृति और सभ्यता में जहाँ प्रकृति के संतुलन की बात कही गयी है वहीँ आज बिना कारण के भी दुरुपयोग करके पंचभूतों को दूषित किया जा रहा है । आज इस दूषित पंचभूत को ठीक करना मानव के बस की बात नहीं है फिर कौन करेगा इसे सही…?
यह जिम्मेदारी हमसे अधिक सरकार की है लेकिन सरकार तो अंग्रेजी उपभोगों की आदी है उसको हमारे स्वास्थ्य से कुछ मतलब नहीं …
यदि हमें स्वस्थ्य रहना है तो इस ओर हमें ही ध्यान देना होगा । इस सृष्टि में पंचभूतों को शुद्ध करने का एक ही विकल्प है वह है गौ-माता , लेकिन सरकार ने गौ को भी बचाने का कोई प्रयास नहीं किया है इसको बचाने का कार्य हमें करना होगा अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब मानव का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा ।
मानव को विमारियों से बचने के लिए 21% आक्सीजन की जरुरत है । यदि शरीर में आक्सीजन की कमी हो जाती है तो कैंसर होता है । आजकल शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण 14 -15 % से अधिक आक्सीजन नहीं मिलता है जिसके कारण शरीर को ना तो पूरा आक्सीजन मिलता है और ना ही शुद्ध रक्त । शरीर की कोशिकाएं तीव्रता से मरती हैं , जिनको पुनर्जीवित करना असंभव है ।
गाय की पूरी शारीरिक संरचना विज्ञान पर आधारित है । गाय से उत्सर्जित एक-एक पदार्थ में ब्रह्म उर्जा , विष्णु उर्जा और शिव उर्जा भरी हुई है । गाय को आप कितने ही प्रदूषित वातावरण में रख दीजिये या कितना ही प्रदूषित जल या भोजन करा दीजिये गाय उस जहर रूपी प्रदूषण को दूध , दही , गोबर , गौ-मूत्र , या साँस के रूप में कभी बाहर नहीं उत्सर्जित करती है बल्कि गाय उसे अपने शरीर में ही धारण कर लेती है । आपको जो भी देगी विशुद्ध देगी ।
गाय का गोबर : – गाय के गोबर में 23 % आक्सीजन की मात्रा होती है । गाय के गोबर से बनी भस्म में 45 % आक्सीजन की मात्रा मिलती है । गाय के गोबर में मिट्टी तत्व है यदि आपको परिक्षण के लिए शुद्ध मिट्टी चाहिए तो गाय के गोबर से शुद्ध मिट्टी तत्व का उदहारण आपको कही नहीं मिलेगा । आक्सीजन भी भरपूर है यानि गोबर से ही वायु तत्व की पूर्ति हो रही है ।
* यह ध्यान रखें कि गाय के गोबर की भस्म बनाने का एक तरीका है , तभी आपको परिष्कृत शुद्ध आक्सीजन तथा पूर्ण तत्व मिल पायेगा । गाय के गोबर की भस्म मकर संक्रांति के बाद बनायीं जाती है ।
गाय का दूध :- गाय के दूध में अग्नि तत्व है । तथा इस दूध के भीतर 85 % जल तत्व है ।
गाय की दही : – गाय की दही में 60 % जल तत्व है । गाय की छाछ गाय के दूध से 400 गुना ज्यादा लाभकारी है । इसलिए गाय के छाछ को अमृत कहा जाता है । इसमें इतने अधिक पोषक तत्व होते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते है ।
छाछ बनाने की अलग-अलग विधियाँ है। छाछ को किस जलवायु में कितनी मात्रा में पानी मिलाकर बनाना है इसका अलग-अलग तरीका है । तभी यह पूरा लाभ प्रदान करती है ।
गाय का मक्खन घी : – गाय के मक्खन में 40% जल तत्व है । मक्खन अद्भुत है इसके अन्दर भरपूर ब्रह्म उर्जा होती है । ब्रह्म उर्जा के बिना मानव के अन्दर सत्वगुण नहीं आते हैं । विना सत्वगुण के सवेदनशीलता शून्य हो जाती है । मान लीजिये किसी ने गुंडेगर्दी से आपके गाल पर थप्पड़ मार दिया तो आपके अन्दर यदि संवेदनशीलता नहीं है तो आप वर्दास्त कर लेंगे अन्यथा आप उस थप्पड़ का जरुर जबाब देंगे ।
आज बाजार में बटरआयल चल रहा यानि दूध से निकाली गयी क्रीम का आयल जो आपके भीतर संवेदनशीलता ख़त्म कर रहा है । भगवान् श्री कृष्ण ने मक्खन के कारण ही इतनी आसुरी शक्तियों का नाश किया ।
जय गौ माता की
कार्तिक माह में तुलसी सेवा
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☀ जय जय श्री राधे ☀
⚜ कार्तिक माह में तुलसी सेवा ⚜
"तुलसी हमारी आस्था एवं श्रद्धा की प्रतीक हैं..!!"
वर्ष भर तुलसी में जल अर्पित करना एवं सायंकाल तुलसी के नीचे दीप जलाना अत्यंत ही श्रेष्ठ माना जाता है।
"कार्तिक मास में तुलसी जी के समीप दीपक जलाने से मनुष्य अनंत पुण्य का भागी बनता है..
इस मास में तुलसी के समीप दीपक जलाने से व्यक्ति को साक्षात लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि तुलसी में साक्षात लक्ष्मी का निवास माना गया है।
पौराणिक कथा के अनुसार'..
गुणवती नामक स्त्री ने कार्तिक मास में मंदिर के द्वार पर तुलसी की एक सुन्दर सी वाटिका लगाई उस पुण्य के कारण वह अगले जन्म में सत्यभामा बनी और सदैव कार्तिक मास का व्रत करने के कारण वह भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी।
'यह है कार्तिक मास में तुलसी आराधना का फल।'
इस मास में तुलसी विवाह की भी परंपरा है, जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है।
इसमें तुलसी के पौधे को सजाया संवारा जाता है एवं भगवान शालिग्राम जी का पूजन किया जाता है और तुलसी जी का विधिवत विवाह किया जाता है। जो व्यक्ति यह चाहता है कि उसके घर में सदैव शुभ कर्म हो, सदैव सुख, शान्ति का निवास रहे.. उसे तुलसी की आराधना अवश्य करनी चाहिए।
कहते हैं कि जिस घर में शुभ कर्म होते हैं, वहां तुलसी हरी-भरी रहती हैं
एवं जहां अशुभ कर्म होते हैं, वहां तुलसी कभी भी हरी-भरी नहीं रहतीं।
राधा रानी जी की तुलसी सेवा प्रसंग ?
एक बार राधा जी सखी से बोली: सखी ! तुम श्री कृष्ण की प्रसन्नता के लिए किसी देवता की ऐसी पूजा बताओ, जो परम सौभाग्यवर्द्धक हो..!!
तब समस्त सखियों में श्रेष्ठ चन्द्रनना ने अपने हदय में एक क्षण तक कुछ विचार किया। फिर चंद्रनना ने कहा- राधे ! परम सौभाग्यदायक और श्रीकृष्ण की भी प्राप्ति के लिए 'वरदायक व्रत है' “तुलसीजी की सेवा” और तुलसी सेवन का ही नियम लेना चाहिये..!!
क्योकि तुलसी का यदि स्पर्श अथवा ध्यान, नाम, संकीर्तन, आरोपण, सेचन, किया जाये तो महान पुण्यप्रद होता है। हे राधे ! जो प्रतिदिन तुलसी की नौ प्रकार से भक्ति करते है, वे कोटि सहस्त्र युगों तक अपने उस सुकृत्य का उत्तम फल भोगते है..!!
मनुष्यों की लगायी हुई तुलसी जब तक शाखा, प्रशाखा, बीज, पुष्प, और सुन्दर दलों, के साथ पृथ्वी पर बढ़ती रहती है तब तक उनके वंश मै जो-जो जन्म लेता है, वे सभी हो हजार कल्पों तक श्रीहरि के धाम में निवास करते है, जो तुलसी मंजरी सिर पर रखकर प्राण त्याग करता है, वह सैकड़ो पापों से युक्त क्यों न हो.. यमराज उनकी ओर देख भी नहीं सकते..!!
इस प्रकार चन्द्रनना की कही बात सुनकर रासेश्वरी श्री राधा ने साक्षात्
श्री हरि को संतुष्ट करने वाले तुलसी सेवन का व्रत आरंभ किया।