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पुरुषोत्तम व्रत का पालन कैसे करें क्या करें क्या नही करें, कैसे करें कौंन से मंत्र का - Printable Version

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पुरुषोत्तम व्रत का पालन कैसे करें क्या करें क्या नही करें, कैसे करें कौंन से मंत्र का - स्वाति - 09-18-2020

पुरुषोत्तम व्रत का पालन कैसे करें क्या करें क्या नही करें, कैसे करें कौंन से मंत्र का जप करें.

नियम
- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन करें। (फर्श पर सोए- वैकल्पिक)।
- सूर्योदय से पहले स्नान करें (धाम में करना उत्तम है या महीने में कम से कम 3 दिन)।
- हरे कृष्ण महामन्त्र का जप करें
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

रोज सुबह शाम तुलसी जी की 4 या 7 परिक्रमा करे दीया लगाएं
और कृष्ण के रूप, गुण और लीलाओं का ध्यान करें। प्रतिदिन 16 माला तो करते ही है उसके अतिरिक्त माला का जप करें
जैसे: 24, 32 या 64 माला

- राधा-कृष्ण के विग्रह या चित्र को घी का दीपक अर्पित करें। प्रतिदिन 33 दीपक या महीने में कम से कम 1 दिन ऐसा करें।
- प्रतिदिन तुलसी देवी की आरती और परिक्रमा करें।
- प्रतिदिन मंदिर की परिक्रमा करें (4 बार)।
- प्रतिदिन राधा-कृष्ण के विग्रह या चित्र को गुलाब, कमल के फूल और 100,000 तुलसी पत्र या जितनी भी हो सके अर्पित करें

- प्रतिदिन श्रीमद्भागवतम का अध्ययन करें, विशेषतः भगवान ब्रह्मा की कृष्ण के प्रति प्रार्थना (स्कन्ध 10, अध्याय 14), एवं भगवद्गीता (अध्याय 15) पढ़ें

- श्री जगन्नाथष्टकम्, श्री चौरग्रगण्यपुरुषाष्टकम् , श्री नन्दनन्दनाष्टकम्, जय राधा माधव एवं अन्य राधा-कृष्ण भजन और प्रार्थना कर सकते हैं

- पूरे महीने शांतिपूर्ण और सत्यवादी रहने का संकल्प लें।
- इस व्रत का पालन करने वाले किसी भी भक्त, ब्राह्मण, संत, गाय, शास्त्र या लोगों को दोष देने से बचें

- अपनी क्षमताओं के अनुसार भक्तिमय तपस्या करके राधा और कृष्ण को प्रसन्न करने का पूरा प्रयास करें
- फर्श पर बैठकर पत्तों के बर्तन में भोजन खाएँ।(वैकल्पिक)
- बाल या नाखून नहीं काटना (वैकल्पिक)
- खाना पकाने में तेल का प्रयोग न करें या अपने शरीर पर तेल मालिश न करें
- सरसों का तेल न ही खाएँ और न ही लगाएँ
- भगवान श्रीकृष्ण या वैष्णवों को प्रतिदिन 33 बार दंडवत प्रणाम  अर्पण करें ?

आहार: सूर्यास्त के बाद दिन में एक बार खाना खाये या दोपहर का भोजन ले। निम्नलिखित भोजन ले :
1. केवल दूध
2. केवल फल (ना दूध, ना सब्जियां)
3. अनाज नहीं(चयनित सब्जियां, फल, सूखे मेवे, दूध)
4. चयनित खाद्य पदार्थ (सभी श्रेणियों चातुर्मास के अनुसार हैं) नही कर सकते तो व्रत जैसे बने वैसे कर सकते है

हरि-भक्ति-विलास: “पुरुषोत्तम मास के दौरान, भगवान का स्मरण करना चाहिए और फिर घी में पकी हुई 33 मिठाइयाँ गृहस्थ ब्राह्मणों को दान देनी चाहिए, जो अच्छी तरह से शास्त्रों में पारंगत हो। ऐसा करने में जो विफल होते है, पिछले वर्षों में जमा की गई सभी पवित्रता को व्यक्ति खो देता है। ” ?

कौण्डिन्य मुनि के निम्नलिखित मंत्र का पाठ कर सकते हैं: गोवर्धन-धरम वन्दे, गोपालम् गोप-रुपीनं, गोकुलोत्सवम् ईशानम्, गोविन्दम गोपिका-प्रियम।

भक्तिविनोद ठाकुर: निरपेक्ष व्रत का पालन करें, जिसका अर्थ है राधा-गोविंद की 30 दिनों के लिए अत्यधिक ध्यानपूर्वक, एकाग्रचित्त होकर उपासना और सेवा करना, उनके दिव्य नाम, रूप, गुण, लीलाओं का स्मरण तथा जप करना। दिन रात भगवान श्रीकृष्ण के विषय में सुनना, हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना और केवल महाप्रसाद जैसे जो भी खाएं कृष्ण को भोग लगा ही लेना चाहिए। ?

हम लोगों को इस पुरुषोत्तम मास में जप शुरू करने की सलाह दे रहे हैं। ताकि वे एक बिल्ली या कुत्ते या किसी और योनि में वापस न आएं। बल्कि बेहतर होगा कि वे वापस ही न आएं, आध्यात्मिक जगत को लौट जाएँ। जहाँ ना बुढ़ापा है, ना बीमारी, ना मृत्यु, ना ही जन्म है। तो इस महीने को स्मार्त संस्कारों के लिए संस्तुत नहीं किया गया है, न ही विवाह इत्यादी के लिए। स्मार्त (ब्राह्मणों) को यह महीना पसंद नहीं है। लेकिन यह महीना आध्यात्मिक सुकृति लेने के लिए विशेष रूप से अच्छा है। ?

इस अधिक मास में ग्रन्थों का दान करे जैसे भागवतम, गीता, या कोई भी कृष्ण की किताब आपके पास के सेंटर इस्कॉन मंदिर में मिल जाएगी श्रील प्रभुपाद जी लिखी गई कृष्ण की बुक्स को जरूर दान करे क्योंकि ग्रंथ दान महा दान है इसको पढ़ कर वो स्वतः इतना ज्ञान प्राप्त कर लेगा की वो खुद ही कुछ भी कर सकता है उसके अंदर ज्ञान होगा तो वो कुछ भी कर के भोजन की पूर्ति कर लेगा ही इसलिए ज्ञान दान करे|

आप और भी कही से जो भी पुस्तक दान करना चाहते है कर सकते है पर करे कृष्ण की गोविंद की महिमा पर ही जिससे उसमे कृष्ण प्रेम भक्ति बड़े और वो वापस कृष्ण के भगवत धाम वैकुंठ धाम जा सके हरे कृष्ण


पुरुषोत्तम मास की महिमा पर ये करें.


प्रेषक: स्वाति जायसवाल