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जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा - Printable Version

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जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा - admin - 08-12-2020

हरे कृष्णा 
जरूर पढ़ें पुरा और करे भी कोशिश करें व्रत करने की और हरि नाम का जप करें????
वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की  लिखी है। ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ - ऐसा भी लिखा है, और जो उपवास करता है, और जो बिना जल और बिना फ़रियाल के बिना फल दुध के करता है और वो जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है । इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें आप जिनसे ना बने वो फल फ़रियाल जल ले सकते है


जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनाते हैं।

जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और नमो भगवते वासुदेवाय  मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।
       

? जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा ?
?? जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है ।इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं ।
??  जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है।
?? ‘वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है। ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ - ऐसा भी लिखा है, और जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है । इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें ।
? बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें ।
?? जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है ।
?? उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है। जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती ।
?? ‘भविष्य पुराण’ के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचानेवाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है।


कृष्ण नाम के उच्चारण का फल
?? ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां त्रिरावृत्त्या चयत्फलम् ।।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य तत्फलं लभते नरः । कृष्णनाम्नः परं नाम न भूतं न भविष्यति ।।
सर्वेभ्यश्च परं नाम कृष्णेति वैदिका विदुः । कृष्ण कृष्णोति हे गोपि यस्तं स्मरति नित्यशः ।।
जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धरेच्च सः । कृष्णेति मङ्गलं नाम यस्य वाचि प्रवर्तते ।।
भस्मीभवन्ति सद्यस्तु महापातककोटयः । अश्वमेधसहस्रेभ्यः फलं कृष्णजपस्य च ।।
वरं तेभ्यः पुनर्जन्म नातो भक्तपुनर्भवः । सर्वेषामपि यज्ञानां लक्षाणि च व्रतानि च ।।
तीर्थस्नानानि सर्वाणि तपांस्यनशनानि च । वेदपाठसहस्राणि प्रादक्षिण्यं भुवः शतम् ।।
कृष्णनामजपस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् । (ब्रह्मवैवर्तपुराणम्, अध्यायः-१११)
?? विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है; वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते
? ब्रह्माण्डपुराण, मध्यम भाग, अध्याय 36 में कहा गया है :
महस्रनाम्नां पुण्यानां त्रिरावृत्त्या तु यत्फलम् ।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥
?? विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।


Hare Krishna

Shri Krishn janamashtami 12 August 2020 ko hai

Mere Krishn ka janam din kese manaye kese pujan kare kya bhog lagye kese abhishek kare jo jode hai sath me puja or vart kare

Jo single hai vo bhi vart kare puja kare sab kuch mile ga har ichchha puri hogi aese nhi to jese bane vese puja kare krishn to bas thode me hi khush ho jate hai
?☺
All krishna devotess janamastmi

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर

1--श्री कृष्ण को एक साधारण स्वच्छ वस्त्र लपेटे

2--*मखाने व किशमिश की माला बनाकर गले में पहनाइये

3--श्रीकृष्ण को स्नान पात्र ( थाली / परात) में आमन्त्रित करिये
अर्थात बैठाइये

4-- पुष्प व अगरबत्ती से आरती करिये

5 --माला उतार दीजिए

6-- सुगन्धित तेल से श्रीकृष्ण की मालिश करिये

7-- श्रीकृष्ण पर चंदन,  हल्दी का लेप करिये

8-- पन्चामृत से स्नान कराएं

?शंख में दूध (गाय का) भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
?फिर, दही भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
?फिर, घी भरे और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
? फिर शहद भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
? फिर, गुड के घोल को भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें

इसके बाद सादे जल से अभिषेक करें
(यदि पवित्र नदियों का जल जैसे - गंगा, यमुना, नर्मदा आदि मिल जाये तो उससे भी करें)

? अनार के रस को शंख में भर कर श्री कृष्ण का अभिषेक करें
? मौसमी के रस को शंख में भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करें
? संतरे के रस को शंख में भरकर श्री कृष्ण का अभिषेक करें

( और भी जिन फलो का रस मिल
सके उससे अभिषेक करें)

तत्पश्चात सादे जल से अभिषेक कर के

साफ  सूखे तौलिए से पोछिये

?दूसरे थाली में श्री कृष्ण को बैठाइये

?फिर गुलाब की पंखुड़ियों से अभिषेक करिये
?गेन्दे की पंखुड़ियों से अभिषेक करिये
?कमल की पंखुड़ियों से अभिषेक करिये

( और भी जो फूलों की पंखुड़ियाँ मिल सके तो उनसे भी कर सकते हैं)

9-- उन्हें वस्त्र पहनाइये
10-- उपवीत पहनाइये
11-    तिलक
12--आभूषण
13-- फूलों की माला
14--इत्र
15- सुगन्धित पुष्प दोनों चरणों में अर्पण करें
16--तुलसी पत्र दोनों चरणों में अर्पण करें
17--धूप
18 -- दीप
19-- भोग निवेदन करिये
मौसम के फल
घर की बनी मिठाई

शेक जैसे - milk shake, banana shake etc

कुछ लोग 56 भोग भी offer करते हैं।
As u wish

20 -- महाआरती करिये।

21- प्रसाद का वितरण करिये।

      कृपया अभिषेक करते समय महामंत्र का कीर्तन करते रहिए

हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
  हरे राम हरे राम
  राम राम हरे हरे


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