Reiki and Astrology Predictions

Full Version: हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे
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हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे...?

फिर हम वो अमृत फेंक कर उनमें कीचड़ भरने का काम क्यों कर रहे हैं...??

जरा इन पर विचार करें...???
० यदि मातृनवमी थी,
तो मदर्स डे क्यों लाया गया ?

० यदि कौमुदी महोत्सव था,
तो वेलेंटाइन डे क्यों लाया गया ?

० यदि गुरुपूर्णिमा थी,
तो टीचर्स डे क्यों लाया गया ?

० यदि धन्वन्तरि जयन्ती थी,
तो डाक्टर्स डे क्यों लाया गया ?

० यदि विश्वकर्मा जयंती थी,
तो प्रद्यौगिकी दिवस क्यों लाया गया ?

० यदि सन्तान सप्तमी थी,
तो चिल्ड्रन्स डे क्यों लाया गया ?

० यदि नवरात्रि और कन्या भोज था,
तो डॉटर्स डे क्यों लाया गया ?

० रक्षाबंधन है तो सिस्टर्स डे क्यों ?

० भाईदूज है ब्रदर्स डे क्यों ?

० आंवला नवमी, तुलसी विवाह मनाने वाले हिंदुओं को एनवायरमेंट डे की क्या आवश्यकता ?

० केवल इतना ही नहीं, नारद जयन्ती ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है...

० पितृपक्ष 7 पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है...

० नवरात्रि को स्त्री के नवरूप दिवस के रूप में स्मरण कीजिये...

सनातन पर्वों को अवश्य मनाईये...

आपकी सनातन संस्कृति में मनाए जाने वाले विभिन्न पर्व और त्योहार मिशनरीयों के धर्मांतरण की राह में बधक हैं, बस इसीलिए आपके धार्मिक परंपराओं से मिलते जुलते Program लाए जा रहे हैं।


अब पृथ्वी के सनातन भाव को स्वीकार करना ही होगा। यदि हम समय रहते नहीं चेते तो वे ही हमें वेद, शास्त्र, संस्कृत भी पढ़ाने आ जाएंगे !

इसका एक ही उपाय है कि अपनी जड़ों की ओर लौटिए। अपने सनातन मूल की ओर लौटिए, व्रत, पर्व, त्यौहारों को मनाइए, अपनी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत कीजिये। जीवन में भारतीय पंचांग अपनाना चाहिए, जिससे भारत अपने पर्वों, त्यौहारों से लेकर मौसम की भी अनेक जानकारियां सहज रूप से जान व समझ लेता है...